पटना, 18 जून। बिहार में पश्चिमी चंपारण जिले के अंतर्गत आने वाले गंडक बराज से लगातार पानी छोड़े जाने की वजह से बेतिया, बगहा, मोतिहारी, सारण और गोपालगंज के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
28 बाढ़ प्रभावित जिलों में डॉक्टरों की सूची तैयार
बिहार में बाढ़ की आशंका के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर राज्य के 28 बाढ़ प्रभावित जिलों में डॉक्टरों व कर्मियों की रोस्टर डयूटी की सूची तैयार कर ली गयी है। विभाग संबंधित सिविल सर्जन के साथ ऑनलाइन बैठक लगातार कर रहा है। गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सारण, मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों ने रोस्टर ड्यूटी की सूची तैयार करने की जानकारी दी है।
घर-घर गंभीर मरीजों, गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, जिन्हें देखभाल की जरूरत है, उनको आशा व एएनएम के माध्यम से चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया गया है। एक सप्ताह में यह कार्य पूरा करने को कहा गया है। गंभीर मरीजों में ऐसे मरीजों को चिह्नित किया जा रहा है, जिन्हें रेफरल की आवश्यकता हो सकती है। राज्य स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाढ़ प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य व्यवस्था की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाया जाएगा।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सांप काटने, कुत्ता काटने सहित अन्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता, स्वास्थ्य शिविर लगाने, अस्पतालों व शिविरों में डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती, हैलोजन टेबलेट की उपलब्धता की व्यवस्था सुचारु रखने व निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। कंट्रोल रूम के दो टेलिफोन नंबर जारी किए जाएंगे। इन पर कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बताकर मदद मांग सकता है।
विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार जिलास्तर पर नाव की व्यवस्था अब तक नहीं की जा सकी है। जिला सिविल सर्जन को अंचलाधिकारी के सहयोग से नाव की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। नाव पर लाइफ जैकेट भी अनिवार्य रूप से रखना है।
पूर्वी चंपारण में बांध टूटा, खेत हुए जलमग्न
पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्रखंड स्थित लालपरसा धुमनी टोला के समीप नहर का जर्जर रिंग बांध आज सुबह करीब 70 फीट की चौड़ाई में टूट गया। इसके टूटने से आसपास के दर्जनों गांवों में फसल डूब गई। हरे भरे खेत देखते ही देखते पूरी तरह जलमग्न हो गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि नदी की उप धारा का बहाव से जुड़ाव हो गया है। इसलिए इतना तेजी से पानी फैलने लगा है ।
स्थानीय लोगों की मानें तो अगर यह स्थिति रही तो बीते एक-दो दिनों में कई दर्जन गांव में पानी प्रवेश कर जाएगा और जान माल काफी ज्यादा प्रभावित हो जाएगी। हालांकि, खबर लिखे जाने तक कई एकड़ की सिर्फ फसलें ही जलमग्न हुई है लेकिन आसपास के गांव के लोगों पानी की भयावह स्थिति को देखकर डर व्याप्त हो गया है।