दंडी स्वामी विमल देव आश्रम ने शनि पीठाधीश्वर को बनाया दंडी सन्यासी
दंडी स्वामी विमल देव आश्रम ने शनि पीठाधीश्वर को बनाया दंडी सन्यासी
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--प्रवीण देव आजीवन सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए करेंगे यात्रा: स्वामी विमल देव
महाकुम्भ नगर, 07 फरवरी (हि.स.)। दंड सन्यास के बाद आजीवन सनातन धर्म प्रचार प्रसार करने के साथ ब्रह्मचर्य का पालन बहुत कठिन होता है। यह बात शुक्रवार को महाकुम्भ क्षेत्र के सेक्टर 18 में स्थित मठ मछली बंदर शिविर में आयोजित दंड सन्यास दीक्षा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मठ मछली बंदर आश्रम के श्री महंत स्वामी विमल देव आश्रम ने कही। उन्होंने बताया कि अलौकिक शनि धाम नैनी प्रयागराज के पीठाधीश्वर प्रवीण देव महाराज को दंड सन्यास की दीक्षा दी गई। यह एक ऐतिहासिक पल होता है। इस संस्कार में सबसे पहले उनका उपवास व्रत के साथ मुंडन संस्कार क्रिया कराया गया। एवं दंडी सन्यासियों, कन्याओं का पूजन करने के बाद भोजन प्रसाद कराया गया।
महंत विमल देव महाराज ने उन्हें गुरु मंत्र एवं संस्कार क्रिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज से प्रवीण देव दंड सन्यास के साथ आजीवन सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए यात्रा करेंगें। इस दौरान वह अपने परिजनों के साथ कोई संबंध नहीं रखेंगे। यह सन्यास के बाद कठिन होता है, इसका पालन करने के लिए ब्रह्मचर्य एवं गायत्री मंत्र का उच्चारण करते रहना है। प्रवीण देव भगवा वस्त्र धारण कर दंडी सन्यासी का जीवन व्यतीत करेंगे। प्रवीण देव अपनी मोह—माया छोड़कर मानव जीवन के कल्याण के लिए ईश्वर के प्रति समर्पित रहेंगे।
महंत स्वामी विमल देव ने प्रवीण की प्रशंसा करते हुए कहा कि विगत कई वर्षों से सनातन के प्रचार के लिए जुड़े रहे जो आज एक सार्थक रूप में उनको दंड सन्यास के साथ एक नई दीक्षा दी गई है। वे हमेशा धर्म गुरु शिष्य परम्परा को आगे बढ़ाएंगे और अपनी जिम्मेदारी ईश्वर एवं गुरु का कर्तव्य का पालन का निर्वहन करते रहेंगे। इस दौरान शशि भूषण चैतन्य, अजय स्वरूप ब्रह्मचारी, विजय स्वरूप ब्रह्मचारी अमन स्वरूप ब्रह्मचारी सुनील स्वरूप ब्रह्मचारी रमन मिश्रा, मौजूद रहे ।