दहेज उत्पीड़न में दो के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द
दहेज उत्पीड़न में दो के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द
प्रयागराज, 14 अप्रैल। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दो आरोपितों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि दो याचियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही कुछ और नहीं बल्कि कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। न्याय के उद्देश्य को सुरक्षित करने के लिए अनिवार्य है। याची पूजा और मीनू के खिलाफ कार्रवाई को रद्द किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने जानकी शरण त्रिवेदी उर्फ अमन व सात अन्य की याचिका का निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने शेष अन्य अभियुक्तों को फिलहाल राहत नहीं दी है। अन्य अभियुक्तों को ट्रायल का सामना करना पड़ेगा।
मामले में याचियों के खिलाफ महोबा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दहेज निषेध अधिनियम और धोखाधड़ी में मुकदमा लंबित है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सभी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। इसके खिलाफ याचियों ने हाई कोर्ट में शरण ली। याचियों पर आरोप है कि उन्होंने शिकायतकर्ता की भतीजी से 2008 में सगाई की रस्म पूरी होने के बाद शादी से इंकार कर दिया।
हालांकि, याचियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले ही हाई कोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की तो सभी ने प्राथमिकी रद्द करने की मांग की। याची की ओर से तर्क किया गया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बिना संज्ञान लिए ही चार्जशीट के अनुसार प्रक्रिया शुरू कर दी।