नहाए खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ

नहाए खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ

नहाए खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ

लोक आस्था का महापर्व छठ आज शुक्रवार को नहाए खाए के साथ शुरू हो गया है। पहले दिन व्रतियों ने सुबह में चावल दाल और कद्दू की सब्जी के साथ पारना किया है। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रहेगा। छठ महापर्व के लिए रविवार को अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाना है। उसके पहले गंगा घाटों की साफ सफाई शुरू हो गई है। जहां सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगाा। इसके लिए नहाए खाए के बाद छठ व्रती महिलाएं उपवास रखी हैं और करीब 36 घंटे से अधिक समय तक भूखी रहकर सूर्य की आराधना की जाती है। सड़कों को साफ किया जा रहा है और इलाके के क्लब तथा स्थानीय लोगों ने मिलजुल कर छठ व्रतियों के घाट पर जाने और वापस लौटने की व्यवस्था करनी शुरू की है।

सूर्य को अर्घ्य देने का है त्यौहार

- ज्ञात हो कि छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है। इसमें किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि छठी मैया की पूजा के लिए व्रती महिलाएं 36 घंटे से अधिक समय तक भूखी रहती हैं। इसीलिए इसे आस्था का महापर्व कहा जाता है।