नई शिक्षा नीति में अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य बोध भी शामिल : प्रो. खेम सिंह

मैकाले की नीति को छोड़कर आगे बढ़ने की दिशा में कदम : प्रो. मधुकरभाई

नई शिक्षा नीति में अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य बोध भी शामिल : प्रो. खेम सिंह

प्रयागराज, 26 सितम्बर । इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित वेबीनार के प्रथम सत्र में “नई शिक्षा नीति“ पर अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल, मध्य प्रदेश के कुलपति प्रो. खेम सिंह डहेरिया ने इसे नवनिर्माण केंद्रित नीति कहा। उन्होंने कहा यह मातृभाषा के साथ-साथ हिन्दी को महत्व देने वाली नीति है, जहां अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य बोध भी शामिल होगा। यह लैंगिक विकास के साथ-साथ समतावादी और समग्रतावादी नीति है।

उन्होंने कहा कि यह नीति खेल के साथ शिक्षा का महत्व प्रतिपादित करने वाली, शील, विनय, आदर्श और श्रेष्ठता की स्थापना की नीति है। इसी से भारत आने वाले समय में महाशक्ति बनेगा। यह नीति लोक जनमानस के परम्परागत ज्ञान के संरक्षण की भी नीति है। जिसका काम ’नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ देखेगा। अपनी गुणवत्ता, मौलिकता और रचनात्मकता में यह नीति मनुष्यत्व के निर्माण की पक्षधर है।

बिरसा मुंडा जनजातीय विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति प्रो. मधुकर भाई एस. पाडवी ने कहा कि नई शिक्षा नीति मैकाले की नीति को छोड़कर आगे बढ़ने की दिशा में कदम है। हमें इस काम में पूरे 75 वर्ष लग गए। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनकी आयु के हिसाब से तैयार करना, बहु विषयकता को ध्यान में रखना तथा बहुस्तरीय प्रवेश और निकासी की व्यवस्था ही इसकी विशेषताएं हैं। दुनिया भारत की तरफ निहार रही है, अब इस नीति में सबसे अंतिम तबके की भाषा में भी पढ़ाई शामिल होगी। परम्परागत ज्ञान को विलुप्त होने से बचाया जाएगा और इन कामों में विज्ञान और तकनीक की सहायता ली जाएगी।

वेबिनार के आयोजक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा की मातृभाषा में प्रारम्भिक शिक्षा देना एक क्रांतिकारी पहल है। यह शिक्षा नीति ज्ञान, विज्ञान के नवाचार की नीति है। इसमें मनुष्यत्व, भाषा, संस्कृति के समन्वय के साथ-साथ विज्ञान और तकनीक का समन्वय महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि वेबिनार में प्रतिभागिता हेतु देश के 25 राज्यों से 880 नामांकन प्राप्त हुए। जिनमें भारत के बाहर से अमेरिका, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम से भी नामांकन प्राप्त हुए। धन्यवाद ज्ञापन चौधरी महादेव प्रसाद महाविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. ज्योति वर्मा ने किया।