तलाकशुदा महिला के गुजारा भत्ता वाले आदेश पर खुशी की लहर
तलाकशुदा महिला के गुजारा भत्ता वाले आदेश पर खुशी की लहर
लखनऊ, 19 अप्रैल। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ के न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की पीठ ने याचिकाकर्ता रजिया के आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर दिये आदेश में सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता पाने के अधिकार को सही बताया है। इस आदेश के आने के बाद तलाकशुदा महिला और उनका पक्ष रखने वाली महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गयी है।
आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की संयोजिका एवं समाजसेवी शाइस्ता अम्बर ने खण्डपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए इसे लाखों तलाकशुदा महिलाओं को भी राहत देने वाला समाचार बता रही हैं। उनका कहना है कि तलाकशुदा महिलाओं के पक्ष में गुजारा भत्ता की मांग वह करती आयी हैं। हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ के तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता देने को लेकर दिया गया आदेश स्वागत योग्य है।
वहीं एआईएमआईएम की जिलाध्यक्ष हसीना ने आदेश पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुस्लिम में तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के लिए लखनऊ खण्डपीठ का आदेश अतिमहत्वपूर्ण है। साथ ही वह महिलाएं जो तीन तलाक के बाद सामान्य जीवन से भी खराब स्थिति में हैं, उनको थोड़ी राहत मिलेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की पीठ ने रजिया के याचिका पर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर अत्यंत महत्वपूर्ण आदेश सुनाया हैं। वर्ष 2008 में प्रतापगढ़ के सत्र न्यायालय में यह पुनरीक्षण याचिका दाखिल हुई थी। खण्डपीठ के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कि इद्दत की अवधि के पश्चात भी पीड़ित महिला इसे प्राप्त करती रहेगी। जब तक तलाकशुदा महिला की दूसरी शादी नहीं हो जाती, उसे गुजारा भत्ता मिलता रहेगा।