वसुधैव कुटुम्बकम सारी दुनिया एक परिवार: डाँ. रीना मालपानी

वसुधैव कुटुम्बकम सारी दुनिया एक परिवार: डाँ. रीना मालपानी

*"वसुधैव कुटुम्बकम सारी दुनिया एक परिवार"*

वसुधैव कुटुम्बकम आध्यात्मिक विचार का शंखनाद है। 

कोटि-कोटि कंठो से उत्पन्न यह आह्लाद है॥

वसुंधरा की दान प्रवृत्ति शिरोधार्य है। 

मानवता के कल्याण में इसका होना अनिवार्य है॥

वसुधैव कुटुम्बकम में घृणा ईर्ष्या से ऊपर सोच का विस्तार है। 

अंधकार में आशा रूपी दिये का प्रसार है॥

वसुधैव कुटुम्बकम सनातन युग से बहती यह अविरल धार है। 

सारी दुनिया की समृद्धि ही इसका सार है॥

वसुधैव कुटुम्बकम में उत्कृष्ट भावों की अभिव्यक्ति है। 

सर्व हिताय की निश्चल भाव की यह अद्भुत कृति है॥

वसुधैव कुटुम्बकम मनोभाव पूर्वजो की धरोहर है। 

इसमें निहित भाव अत्यंत ही मनोरम है॥

वसुधैव कुटुम्बकम में प्रेम की गंगा बहाने का सामर्थ्य है। 

धरा में सरिता, वृक्ष, पवन सभी तो औदार्य है॥  

वसुधैव कुटुम्बकम का भाव हृदय में लाना है। 

विश्व उन्नति के लिए सहयोगात्मक कदम बढ़ाना है॥

वसुधैव कुटुम्बकम वसुधा की पुकार है। 

सभी मिल-जुलकर रहे, यही उसका आधार है॥

वसुधैव कुटुम्बकम का आचार विचारणीय है। 

देश की प्रगति में इसकी संस्तुति अनुकरणीय है॥

वसुधैव कुटुम्बकम का भाव निज अहम से ऊपर उठाता है। 

विश्व हित में इस ज्ञान को समुन्नत बनाता है॥

वसुधैव कुटुम्बकम में परोपकार की अद्भुत शक्ति का भंडार है। 

प्रकृति भी तो कराती इसका साक्षात्कार है॥

वसुधैव कुटुम्बकम में समृद्धि के संवर्धन निहित है। 

मनुष्य के उत्थान का भाव इसमें चिह्नित है॥

वसुधैव कुटुम्बकम हृदय की विशाल भावनाओं का समुन्नत रूप है। 

सब सुख-दु:ख में एक हो, यही इसका स्वरूप है॥   

वसुधैव कुटुम्बकम में सनातन धर्म के निहित संस्कार है। 

सारी दुनिया ही तो यहां एक परिवार है॥

वसुधैव कुटुम्बकम एक उन्नत सशक्त आध्यात्मिक ज्ञान है। 

डॉ. रीना कहती इसी उदार भाव की तो विश्व में जय-जयकार है॥```

*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*