केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तारः अनुप्रिया पटेल (प्रोफाइल)
पूर्वांचल में बनाई अलग पहचान, मीरजापुर में बहाई विकास की गंगा
07 जुलाई । सांसद अनुप्रिया पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में शुमार थीं। भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद बनी अनुप्रिया पटेल के प्रयास से जनपद को मेडिकल कालेज की सौगात मिली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री के रूप में कार्य करते समय उन्होंने चिकित्सा विभाग में काफी बदलाव किया। पिता के निधन के बाद उनकी माता कृष्णा पटेल अपना दल पार्टी की अध्यक्ष बनीं, लेकिन कुछ विवादों के चलते उन्होंने मां से अलग होकर अपना दल (एस) का गठन किया। वर्तमान में वह पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 2012 के चुनाव से वाराणसी के रोहनिया विधानसभा से किया। यहां उन्होंने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी आफ इंडिया और बुंदेलखंड कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। रोहनिया से वह विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गई थीं। इसके बाद राजनैतिक सफर निरंतर आगे बढ़ता चला गया। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मीरजापुर निर्वाचन क्षेत्र से वह भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ीं और सांसद चुनी गईं। इसके बाद वर्ष 2019 में भाजपा गठबंधन से दोबारा लोकसभा चुनाव लड़कर वह पुन: मीरजापुर से सांसद चुनी गईं। पिता व अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल और माता कृष्णा पटेल की लाडली रही हैं। सांसद अनुप्रिया पटेल का जन्म कानपुर में 28 अप्रैल 1981 को हुआ था। इनकी शिक्षा दीक्षा लेडी श्रीराम महिला महाविद्यालय से हुई है। इन्होंने मनोविज्ञान व बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) में मास्टर डिग्री की है। इनका विवाह इंजीनियर व वर्तमान एमएलसी आशीष कुमार सिंह से हुआ है। वर्तमान समय में राजनीति दृष्टि से पटेल वर्ग में इनकी लोकप्रिय छवि बनी हुई है।
पहली बार केेंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनने पर सांसद अनुप्रिया पटेल जनपद को विकास की राह पर ले गईं। उन्होंने मेडिकल कालेज के साथ ही रेलवे स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ी व दक्षिणी प्रवेश द्वार बनवाने का कार्य शुरू कराया। इसके अलावा चुनार किला व जान्हवी होटल का सुंदरीकरण कराया गया। पूर्व राज्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य विभाग को एक बड़ी उपलब्धि दिलाई। जनपद में डायलिसिस सेंटर लाकर सबसे बड़ा कार्य किया। इससे लोगों को वाराणसी-प्रयागराज जाने से छुटकारा मिला। यही नहीं, किडनी के मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए अधिक रुपये खर्च करने से भी छुटकारा मिला। मंडलीय चिकित्सालय में सिटी स्कैन मशीन लगवाने के लिए भी प्रयासरत् थीं।
इसी बीच 2019 का चुनाव आ गया और यह मशीन आते-आते रह गई। उनके दोबारा मंत्री बनने पर जनपदवासियों को एक बार फिर विकास रथ पर चलने की आशाएं बढ़ गईं हैं। हर किसी के मन में जिले में रोजगार के लिए कोई फैक्ट्री लगवाने की इच्छा है।
अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से वह जिले की पहली सांसद व मंत्री होंगी, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विकास की ऊंचाईयों को छूने का प्रयास किया।