मां विंध्यवासिनी के जयकारे से गूंजायमान हो उठा विंध्यधाम, कूष्मांडा रुप को निहारा

मां विंध्यवासिनी के जयकारे से गूंजायमान हो उठा विंध्यधाम, कूष्मांडा रुप को निहारा

मां विंध्यवासिनी के जयकारे से गूंजायमान हो उठा विंध्यधाम, कूष्मांडा रुप को निहारा

मीरजापुर, 12 अप्रैल । चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के लिए दूर-दूर से भक्त विंध्यधाम पहुंचे। भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के चौथे स्वरुप कूष्मांडा का दर्शन पूजन विधि-विधान से किया। मां की एक झलक पाने के लिए भोर से ही भक्तों की लाइन लग गई थी।

मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए कतारबद्ध भक्त बीच-बीच में मां का जयकारा लगा रहे थे। जयकारे के बीच भक्तों में उत्साहवर्धन हो रहा था। मां कूष्मांडा जिस तरह से भक्तों को धैर्य का दामन नहीं छोड़ने की प्रेरणा देती हैं, उसी प्रकार भक्त लाइन में खड़े होने के बावजूद मां का जयकारा लगाकर अपने को उनकी भक्ति में तल्लीन किए हुए थे। मंदिर जाने के प्रमुख चार मार्ग पक्का घाट, कोतवाली रोड, न्यू वीआईपी और पुरानी वीआईपी मार्ग पर अच्छी व्यवस्था की गई थी।


मां विंध्यवासिनी की विधि-विधान से भोर में मंगला आरती हुई। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा विंध्यधाम गूंजायमान हो उठा और दर्शन पूजन शुरु हुआ। साथ ही अष्टभुजा व कालीखोह में भी भारी संख्या में भक्त मां के दर्शन की लालसा से पहुंच रहे थे। मां के दर्शन पूजन के बाद लोगों का काफिला त्रिकोण यात्रा को निकल रहा था। गर्मी और तेज धूप के बावजूद लोगों की आस्था में किसी प्रकार की कमी नहीं थी। अष्टभुजा व कालीखोह का मार्ग पर मां के भक्त श्रद्धाभाव से मां का जयकारा लगाते निरंतर आगे बढ़ रहे थे।



साधकों ने किया नौ दिन का अनुष्ठान

चैत्र नवरात्र में मां की आराधना का विशेष महत्व है। यही वजह है कि कारिडोर के ऊपर बने स्थानों पर नौ दिन का उपवाश रख अनुष्ठान में भक्त लीन हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित रुप से कर रहे हैं। कतारबद्ध पितांबरधारी साधक साधना में लीन हैं।



भाव पूजा में है बैसवारा समाज का विश्वास

भाव और भक्ति देखनी हो तो चैत्र नवरात्र के पहले दिन से पंचमी तक विध्याचल आने वाले बैसवारा समाज के लोगों की पूजा पद्धति भाव पर आधारित होती है। इसमें परिवार के सभी सदस्य नया सफेद वस्त्र धारण कर मां विंध्यवासिनी के दर्शन करते हैं और भाव से मां की आराधना करते हैं।

इस समाज के लोग आटे से बने दीपक का ही इस्तेमाल करते हैं। तीर्थ पुरोहित प्रेमशंकर मिश्र ने बताया कि उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, बुंदेलखंड, कानपुर देहात से बैसवारा समाज के लोग मां के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। नवरात्र की पंचमी को दर्शन-पूजन करके चले जाते हैं।



सीता कुंड पर 24 घंटे निःशुल्क प्याऊ की व्यवस्था

सीताकुंड का पानी गर्मी में सूख जाने के कारण दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को पीने के पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो समस्या के समाधान के लिए एडीएम शिव प्रताप शुक्ला के नेतृत्व में आरओ पानी की व्यवस्था की गई। श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे निःशुल्क प्याऊ की व्यवस्था की उपलब्ध रहेगी।