''गंगा के पनिया लहर मारे, छहर-छहर मारे हो'' से गूंजे गांव-शहर

''गंगा के पनिया लहर मारे, छहर-छहर मारे हो'' से गूंजे गांव-शहर

''गंगा के पनिया लहर मारे, छहर-छहर मारे हो'' से गूंजे गांव-शहर

गोरखपुर, 10 नवम्बर । भगवान भाष्कर की किरण से उत्पन्न षष्ठी देवी (छठ) की आराधना का महापर्व बुधवार को उल्लास पूर्वक मनाया गया। व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर खुशहाल पारिवारिक जीवन और समाज की मन्नतें मांगी। महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य का अर्घ्य देकर पुत्रों के लंबी उम्र की कामना भी की।

राप्ती नदी तट के रामघाट, गोरक्षनाथ घाट, गोरखनाथ मंदिर के भीम सरोवर, मानसरोवर, जटाशंकर पोखरा, महेशरा डोमिनगढ़, मीरपुर, राप्ती तट सहित जनपद के छोटे-बड़े 390 स्थानों पर व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया।

डीएम-एसएसपी करते रहे मुआइना

इस दौरान जिलाधिकारी विजय किरन आनंद, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा भी व्यक्तिगत तौर पर घाटों का हरमन करते रहे। सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों की टीमें लगातार सुरक्षा व्यवस्था में जुटी रहीं।

हर घाट पर रही हजारों की भीड़

राप्ती घाट, रामघाट, गोरक्षनाथ घाट, गोरखनाथ मंदिर के भीम सरोवर, मानसरोवर, जटाशंकर पोखरा, महेशरा डोमिनगढ़, मीरपुर आदि घाटों पर हजारों की संख्या में महिलाओं हुजूम उमड़ा रहा था। इन महिलाओं के अर्घ्य का बाद का नजारा आकर्षित करने वाला दिखा। ऐसा विहंगम दृश्य देख घाट पर मौजूद लोग पुलकित होते रहे।

दोपहर बाद ही घाटों पर जमने लगे श्रद्धालु

बता दें कि बुधवार की दोपहर के बाद से ही नगर से लेकर ग्रामीण अंचलों के श्रद्धालु पूजा सामग्री से भरी बांस की बनी टोकरी यानी डाल (चंगेली) लेकर नदी की तरफ चल पड़े थे। शाम होते-होते इन सभी घाटों पर हजारों महिला श्रद्धालु इकट्ठा हो चुकी थीं। इनके साथ बच्चों से लेकर बूढ़ों तक की जमात छठ पूजा में शामिल हुए।

कुशीनगर की वैष्णवी-वसुंधरा के छठ गीत की सुनाई देती रही गूंज

इधर, छठ मईया का गीत ''कांचहिं बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय'' और कुशीनगर के हाटा क्षेत्र की ''मणि सिस्टर्स'' वैष्णवी और वसुंधरा के गए छठ गीत ''गंगा के पनिया लहर मारे, छहर-छहर मारे हो'' से गांव-गिरांव के साथ शहरों का कोना कोना गूंजता रहा। इन गीतों के सुमधुर लय से पूरा अंचल गूंजता रहा।

आलम यह था कि तट पर तिल रखने तक की जगह नहीं बची। दोपहर से ही घाटों पर जमीं महिलाएं द्वारा वेदी पूजन के बाद नदी में खड़ा होकर सूर्यदेव के डूबने के इंतजार करने का दृश्य भी काफी मनोहारी रहा।

रात में भी घाटों पर रहेंगी कोसी भरने वाली व्रती महिलाएं

अर्घ्य के बाद कुछ महिलाएं अपने घर लौट गईं, लेकिन कुछ महिलाएं आज रात घाट पर बिताएंगी। इन्हें कोसी भरना है। व्रत रहने वाली उन महिलाओं को छठ मइया का पूजन रात भर करना होता है, जिन्हें कोसी भरने की परंपरा का निर्वहन करना होता है।

इन घाटों पर रात बिता रहीं महिलाएं

जिन घाटों पर महिलाएं रात्रि व्यतीत करेंगी, उनमें राजघाट नदी तट, भीम सरोवर, मानसरोवर मंदिर, जटाशंकर महेशरा, डोमिनगढ़, मीरपुर आदि शामिल हैं।

महिलाओं की सुरक्षा का है पूरा प्रबंध

महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किया गए हैं। नदी की तरफ जाने वाले सभी मार्गो पर छोटे-बड़े सभी वाहनों का आवागमन देर शाम तक रुका रहा। जगह-जगह पुलिस के जवान तैनात रहे। राप्ती नदी डोमिनगढ़, भीम सरोवर पर सुरक्षा की कमान खुद पुलिस अधीक्षक नगर सोनम कुमार ने संभाल रखी थी। नगर आयुक्त अविनाश सिंह राप्ती नदी, भीम सरोवर, जटाशंकर डोमिनगढ़ पर ड्यूटी बजाते रहे। नदी तट तक पथ प्रकाश की व्यस्था भी की गई है।

गूंजती रही बैंड धुन

व्रती महिलाओं के साथ बैंड बाजे, ढोल, नगाड़े बजते रहे। महिलाएं, झूमते हुए घाटों की तरफ जा रहीं थीं। नदी, तालाबों व पोखरों पर बने सभी घाट दीपमालाओं से सजे रहे। लोगों ने पोखरों व घाटों पर दीप दान भी किया।