“वेलेंटाइन गिफ्ट : मेरा आत्मसम्मान (लघुकथा)”
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
राधा और केशव परिणय बंधन में बंध गए। इससे पूर्व राधा और केशव की जिंदगी अनेकों मोड़ से गुजरी। केशव ने अपनी नौकरी की जद्दोजहद में कई पापड़ बेले। उसे इस संघर्ष की अवस्था में कोई मार्गदर्शन और सहयोग करने वाला नहीं था। जब कई संस्थाओं में उसकी सरकारी नौकरी लगी तो वह उसकी काबिलियत और अनुभव का परिणाम थी। केशव की खासियत थी की वह हर नए कार्य को पूरी निष्ठा से करता था। वह वैसे भी हमेशा कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित था। पर केशव जीवन की गहराइयों को भी इतने अच्छे से समझता होगा इसका तो अंदाजा भी नहीं था। राधा भी उच्च शिक्षा के लिए सदैव प्रयासरत रही। नौकरी, कोचिंग और पढ़ाई इन सब के बीच पारिवारिक मेल-मिलाप और रसोई के क्रियाकलाप से बहुत दूर रही। राधा केरियर ओरिएंटेड थे और केशव जॉब ओरिएंटेड था। पर राधा और केशव की विशेषता थी की उनमें समय के अनुरूप परिपक्वता थी।
जब विवाह निश्चित हो चुका था और सगाई के पश्चात केशव राधा के साथ उनके स्टाफ से मिला तो वह मिठाई का पैकेट भी साथ लेकर आया था। उसने सभी का सम्मानपूर्वक अभिवादन किया। उसके व्यवहार को देखकर सभी वरिष्ठजनों से उसकी तारीफ की। जब रिश्ता तय हुआ था तब केशव का यही कथन था की राधा होगी या कोई और जो भी मेरी जीवनसाथी बनेगी मैं सदैव उसके प्रति निष्ठावान रहूँगा और उसे खुश रखने की भरपूर कोशिश करूंगा। केशव स्त्री सम्मान की कीमत को बहुत अच्छी तरह समझता था। विवाह के कुछ समय पूर्व जब राधा को डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई तब केशव ने उसकी सफलता में शामिल होकर उसका हौसला बढ़ाया। वह उसकी सफलता के पीछे का संघर्ष जानता था और केशव एक उदार व्यक्तित्व का धनी था। केशव अन्य दोस्तों की तरह स्त्रियों के साथ हुल्लड़ वाली मस्ती एवं मर्यादा को पार करने वाला व्यवहार कभी नहीं करता था। यह बात राधा के मन में केशव के प्रति सम्मान कई सौ गुना बढ़ा देती थी। केशव के जिक्र, फिक्र, एहसास और ख्याल में केवल राधा ही थी।
विवाह के पश्चात कई विविध परिस्थितियाँ आई जिसमें राधा के पहनावे, शिक्षा, व्यवहार और रसोई के काम को लेकर कई तरीके के मीन-मेख, आलोचना, तारीफ ऐसे बहुत सारे अनुभवों से राधा को गुजरना पड़ा, परंतु सदैव केशव ने उसके आत्मसम्मान की रक्षा की। यह सफर केशव के होने से राधा के लिए बड़ा आसान था। साल भर बीतने के पश्चात जब केशव ने राधा से वेलेंटाइन गिफ्ट लेने को कहा तब राधा के शब्द थे की बीते पूरे साल में आपने मुझे कई क्षण दिए जो प्रेम, अपनत्व और सहयोग से सराबोर थे। कई बार मेरा आत्मविश्वास डगमगाया, मेरा आत्मसम्मान आहत हुआ पर आपने कभी उस पर चोट नहीं आने दी। आपने हमेशा मेरी खुशियों का ध्यान रखा। मुझे मेरी कमियों और बुराइयों के साथ भी अपनाया। केशव कोई भी बात को सही मानने से पहले सदैव राधा का पक्ष सुनता था। उसकी गलतियों के लिए उसे समझाता भी, पर कभी भी चार लोगों के बीच उसे अपमानित नहीं करता और न ही किसी और को उसे अपशब्द बोलने की अनुमति देता था। राधा भी उसके समझाने के बाद अपनी गलतियाँ सहर्ष स्वीकार करती। कुल मिलाकर उसने उसे वो क्षण दिए जिसकी कीमत किसी भी गिफ्ट से पूरी नहीं हो सकती थी।
इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है की स्त्री के लिए उसका मान-सम्मान सबसे कीमती वस्तु है और यह पुरुष को स्त्री के मन में ऊँचा स्थान दिलाती है। कमियाँ हम सबमें होती है पर उसके प्रति प्रतिक्रिया समझदारी से होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति आपकी सोच के अनुरूप पूर्ण नहीं होता। आपको ही अपने प्रयासों से इस जीवन को आसान बनाना होगा। यदि प्रत्येक स्त्री को केशव जैसा जीवनसाथी मिले तो हर क्षण ही वेलेंटाइन होगा और भाव वेलेंटाइन गिफ्ट। निश्चित ही छोटी से प्यार भरी भेंट एक मीठी मुस्कान चेहरे पर बिखेर देती है, पर भावनाएँ कभी भी पैसो के तराजू में नहीं तौली जाती। प्रेम की अनवरत धारा किसी निश्चित दिन पर निर्भर नहीं है। यह तो हर सीमा रेखा से परे है। प्रेम की पावनता तो ईश्वर का वरदान ही है। प्रेम तो भाषा और शब्दों से भी परे है। यह तो वह भाव है जो महसूस होता है। प्रेम तो एक मीठी अनुभूति है जिसकी अभिव्यक्ति हर दिन की जा सकती है।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)