लखनपुरी में पर्वतीय लोक संस्कृति से रूबरू करा रहा है उत्तराखण्ड महोत्सव

गोमती तट के पं. गोविंद वल्लभ पंत सांस्कृतिक उपवन में चल रहा है महोत्सव

लखनपुरी में पर्वतीय लोक संस्कृति से रूबरू करा रहा है उत्तराखण्ड महोत्सव

लखनऊ, 12 नवम्बर । पर्वतीय अंचल की लोक संस्कृति देखनी हो तो चले आइये उत्तराखण्ड महोत्सव। महोत्सव में जहां एक ओर खान-पान है वहीं दूसरी ओर मन को झंकरित करने वाली लोक संगीत। पर्वतीय समाज के पारम्परिक परिधान और आभूषण पहने भी दिख जाएगी वहां महिलाएं ।

लखनपुरी के बीरबल साहनी मार्ग स्थित पं. गोविन्द बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन पर चल रहे दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव के चौथे दिन शुक्रवार दोपहर में बच्चों की नृत्य, संगीत की विभिन्न प्रतियोेगिता हुईं। शाम को सांस्कृतिक संध्या में वहां की लोक संस्कृति की झलक दिखाई दी। छोलिया नृत्य के दल ने लोगों का पारम्परिक स्वागत किया।


सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत श्रीगणेश वंदना से की। साधना मिश्रा के शिवोम सांस्कृतिक दल ने भक्तिभाव से वंदना की। इसी ग्रुप ने झूमर नृत्य तथा बृज की होली की प्रस्तुति देकर खूब तालिया बटोरी। निगुर्णा डांस स्कूल की साची एवं चिन्मोई विश्वास ने पधारो म्हारो देश की सुन्दर प्रस्तुति देकर गोमा तट पर शाम को संगीतमय बना दिया।

लोक गायक मनोज अधिकारी ने उत्तराखण्ड के विविध लोक गीतों से श्रोताओं को रिझाया। विद्या नृत्यम कला केन्द्र की विद्या भूषण सोनी ने श्रीराम जी का भक्तिमय भजन सुनाया। गिन्नी सहगल ने सीता स्वयंबर की खूबसूरत प्रस्तुति दी। पर्वतीय रामलीला समिति, तेलीबाग ने विभिन्न उत्तराखण्ड के लोक गीत नृत्य के माध्मय से कार्यक्रम से समा बांधा।

इससे पहले रिद्म डिवाइन इस्टीटयूट के कलाकारों ने भरतनाट्यम एवं शिव ताण्डव की सुन्दर प्रस्तुति दी। कलाकार राजेन्द्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व में पर्वतीय सांस्कृतिक समिति तेलीबाग ने उत्तराखण्ड के सामुहिक नृत्य की अनेक प्रस्तुतियों से मंच को सजा दिया। उत्तराखण्ड महापरिषद के रंगमण्डल की कलाकार हरितिमा पंत ने अपने सुन्दर गायन से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया।

दोपहर को हुई प्रतियोगिताओं में 4 वर्ष से अधिक आयु वर्ग का एकल नृत्य का आयोजन महिला प्रकोष्ठ की मीनू अधिकारी, रेनू अधिकारी, आशा बनौला, कमला चुफाल ने सफलतापूर्वक किया। एकल नृत्य में अनेक प्रतियोगीयों ने अपनी प्रतिभा दिखाई जिसमें प्रथम नौशाबा खान, द्वितीय हिताक्षी, तृतीय पूजा बिष्ट एवं सांत्वना पुरस्कार दीपा पाण्डेय को मिला।