ट्रिपल आईटी को पांच क्षेत्रों में कार्ययोजना तैयार करनी होगी : डॉ देशपाण्डे
संस्थान में चल रहे पिछले दो वर्ष से विभिन्न कार्यक्रमों का समापन
प्रयागराज, 21 मार्च । अगले 50 वर्षों में शिक्षण संस्थानों के लिए नयी चुनौतियों से सामना करने के लिए नए दृष्टिकोण के साथ कार्य योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा। ट्रिपल आईटी प्रयागराज को भविष्य के लिए पांच क्षेत्रों में कार्य करने पर कार्ययोजना तैयार करनी होगी।
उक्त विचार भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज के बोर्ड आफ गवर्नर्स के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. आनन्द देशपाण्डे ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज के झलवा परिसर में संस्थान के 20 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पिछले दो वर्ष से विभिन्न कार्यक्रमों के समापन सत्र में सोमवार को व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि डाटा और मशीन लर्निंग, अगली पीढ़ी का जीव विज्ञान, मेटा वर्ब, वेब थ्री एण्ड क्रिप्टो और सुरक्षा और निजता ऐसे पांच भविष्य क्षेत्र हैं जहां संस्थान को आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना ने हमें बहुत कुछ सीखने का अवसर दिया। कहा कि अब शोध बहुत महत्वपूर्ण हो गया है जो संस्थान शोध के क्षेत्र में पीछे गया वह स्वयं अपना महत्व खो देगा।. अब शोध करो या मरो जैसी स्थिति हो गयी है।
डॉ. पाण्डेय ने बताया कि अब शिक्षण संस्थानों को अपने पुरा छात्रों को जीवन भर के लिए सीखने की सदस्यता देनी चाहिए। जिससे वे संस्थान से हमेशा जुड़े रहें। उन्होंने संस्थान के निदेशक प्रो. पी.नागभूषण को सफलतापूर्वक बिताये गये पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए संस्थान की तरफ से उन्हें आजीवन मानद अध्यापक होने का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
डॉ.अजय भगवत, रेणु इलेक्ट्रॉनिक्स, पुणे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं संस्थापक ने सभी शिक्षण संस्थानों को तीन क्षेत्रों-सामुदायिक रुप से कार्य करना, छात्रों में उद्यमशीलता पैदा करना और पुरा छात्रों को संस्थान से हमेशा जोड़े रखने का मंत्र दिया। जिससे वे प्रत्येक क्षेत्र में संस्थान की मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि ट्रिपलआईटी प्रयागराज को एक रोल मॉडल के रुप में स्थापित करना होगा जिससे अन्य आईटी संस्थान के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन सके।
संस्थान के निदेशक प्रो. पी. नागभूषण ने कहा कि संस्थान अपनी संस्थान के 20 वर्षों से ऊपर का हो चुका है। संस्थान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में अपने पांच वर्ष के अनुभव को साझा किया। कहा कि मैं अपने-आपको कभी संस्थान के निदेशक के रुप में कार्य नहीं किया, बल्कि सभी लोगों के साथ मिलकर कार्य किया। उन्होंने कहा की सभी के सहयोग से संस्थान में बहुत सारे नये कार्यों की शुरुआत की गयी है जिसे आगे बढ़ाया जाये, जिससे देश और समाज को उसका लाभ मिले सके। उन्होंने कहा कि संस्थान के छात्र देश एवं विदेशों में अपनी सेवा प्रदान करके संस्थान का मान बढ़ा रहे हैं।
कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. विजयश्री तिवारी ने संस्थान की रूपरेखा प्रस्तुत किया। बताया कि संस्थान आज देश-विदेश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थान के साथ मिलकर शोध के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। प्रो. शेखर वर्मा, अधिष्ठाता शैक्षणिक और अनुसंधान मामले ने पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। प्रो. माधवेन्द्र मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि ’बियॉन्ड 20 बाय 2020’ के अन्तर्गत पिछले दो वर्ष के बीच में 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशालाएं का आयोजन किया जा चुका है। इस दौरान निदेशक ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को शाल एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर डॉ देशपांडे ने संस्थान के स्वास्थ्य केंद्र पर नए फिजियोथेरेपी कक्ष का उद्घाटन भी किया।