यूपी की शहरी जनता को पसंद आयी ट्रिपल इंजन की सरकार

हिट रही, “नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी सब चंगा“ की पंचलाइन

यूपी की शहरी जनता को पसंद आयी ट्रिपल इंजन की सरकार

लखनऊ, 13 मई । 24 अप्रैल को नगरीय निकाय के लिए चुनावी दौरे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक जनसभा आयोजित थी। उसमें उन्होंने एक पंचलाइन बोली थी, “नो कर्फ्यू, नो दंगा, यूपी सब चंगा“। उनके संबोधन का यह हिस्सा खूब हिट रहा। इसका निहितार्थ वह सुशासन है जिसमें अपने पहले कार्यकाल से ही अपराधियों, माफिया एवं भ्रष्टाचारियों के प्रति उनकी जीरो टॉलरेंस नीति के प्रति प्रतिबद्धता रही। यह प्रतिबद्धता प्रदेश सरकार के एक्शन में दिखती भी है।



कानून-व्यवस्था और विकास के मुद्दे को जनता का भरपूर समर्थन

निकाय चुनाव में मुख्यमंत्री योगी जहां भी गये स्थानीयता को जोड़ते हुए उन्होंने कानून व्यवस्था और विकास को ही केंद्र में रखा। मसलन कानपुर में कहा कि पहले यहां कट्टा बनता था, अब डिफेन्स कॉरिडोर में सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार बनेंगे। गोरखपुर में माफिया के जमाने की गैंगवार की ओर इशारा किया तो हरदम की तरह आजमगढ़ में बताया कि किस तरह दुर्दांत अपराधियों की वजह से यहां के युवाओं के लिए देश में पहचान का संकट खड़ा हो गया था।



आज नगर निकाय के नतीजों के जरिए शहरी और शहर बनने की ओर अग्रसर करोड़ों लोगों ने इस बात की तस्दीक कर दी कि उनको योगी का सुशासन पसंद है, क्योंकि यह शहर के विकास की बुनियादी शर्तों में से एक है।



एक बार फिर सफल कप्तान साबित हुए योगी

अगर प्रचार के लिहाज से देखा जाए तो यह योगी की सफलतम कप्तान जैसी पारी रही। चुनाव की घोषणा होते ही वह पूरी ऊर्जा के साथ मैदान में उतर गये थे। सरकार के उनके अन्य सहयोगियों एवं संगठन ने भी ट्रिपल इंजन की सरकार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी, पर हर खेल की तरह जीत-हार का श्रेय कप्तान को ही जाता है।

योगी ने की कुल 50 जनसभाएं



दो चरणों में संपन्न इस चुनाव में योगी ने कुल 50 जनसभाएं और सम्मेलन किये। वह भी तब जब पिछले चुनाव में 16 नगर निगमों में से 14 पर भाजपा के मेयर जीते थे। बीच में अगर तीन दिन कर्नाटक के चुनाव में व्यस्तता नहीं होती तो इनकी संख्या और अधिक होती।



विपक्ष शुरू से ही बैकफुट पर

इसकी तुलना विपक्ष से करेंगे तो यही लगेगा कि उसने अपनी हार सुनिश्चित मानकर पहले ही भाजपा को वाकओवर दे दिया था। कांग्रेस तो कर्नाटक के चुनावों में ही व्यस्त रही। उनका कोई बड़ा नेता यहां मैदान में उतरा ही नहीं। बसपा ने उम्मीदवारों से समन्वय की पूरी जिम्मेदारी स्थानीय समन्वयकों पर छोड़ दी थी। सपा के मुखिया अखिलेश यादव निकले जरूर पर योगी के मुकाबले यह चुनाव प्रचार कम रस्मअदायगी अधिक थी। कुल मिलाकर वह प्रचार के बाबत महज 7 नगर निगमों गोरखपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, सहारनपुर, कानपुर अलीगढ़ एवं मेरठ में गये। शहरी निकायों में उनका दौरा कन्नौज और औरैया तक ही सीमित रहा। नतीजतन भाजपा ने नगर निगमों के प्रतिष्ठापरक चुनावों में क्लीन स्विप किया। सभी (17) नगर निगम की सीटों पर भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवारों की जीत हुई।