ज्ञानवापी मस्जिद के बंद तहखानों का सच सामने आयेगा,सर्वे टीम न्यायालय में करेगी पेश

16 मई तक सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक मस्जिद का सर्वे,चप्पे-चप्पे पर फोर्स

ज्ञानवापी मस्जिद के बंद तहखानों का सच सामने आयेगा,सर्वे टीम न्यायालय में करेगी पेश

वाराणसी,14 मई । ज्ञानवापी मस्जिद में बंद तहखानों में छुपे रहस्य का सच कमीशन की कार्यवाही में सामने आ आयेगा। न्यायालय के आदेश पर शनिवार से शुरू सर्वे में दो तहखानों का ताला खोलकर वीडियोग्राफी कराई गई है। मस्जिद में सर्वे टीम ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र की मौजूदगी में एक तहखाने का ताला खोला। 10 बजे तक दूसरे तहखाने की चाबी नहीं मिलने के कारण ताला तोड़ा गया और वीडियोग्राफी की गई।


तहखाने में क्या मिला है, इसकी जानकारी न्यायालय में पेश किया जायेगा। एडवोकेट कमिश्नर और सर्वे टीम तहखाने में एक-एक बिंदू को सूक्ष्मता से देख कर वीडियोग्राफी करा रहे है। कमीशन की कार्यवाही के दौरान वादी-प्रतिवादी पक्ष, दोनों पक्ष के अधिवक्ता, एडवोकेट कमिश्नर और उनकी टीम, डीजीसी सिविल और उनकी टीम, विश्वनाथ मंदिर की टीम और पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की टीम (कुल 56) शामिल है। बताते चले, ज्ञानवापी मस्जिद में चार जनवरी 1993 को तत्कालीन जिलाधिकारी ने तीन कमरों को बंद करवा दिया था।

उम्मीद जताई गई है कि तबसे इन कमरों को खोला नही गया है। इसी तरह ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेडिंग के अंदर भी तीन कमरों में भी ताले लगे हुए हैं। माना जा रहा था कि इन बंद कमरों की एक चाबी प्रशासन के पास और दूसरी चाबी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। अदालत के आदेश के बाद जिलाधिकारी की ओर जारी नोटिस पर कमेटी ने चाबी होने की बात स्वीकार की थी।



दिल्ली निवासी राखी सिंह,बनारस की लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में



याचिका दाखिल की थी। महिलाओं ने काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और अन्य विग्रहों को 1991 के पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन की मांग की है। इस मुकदमें में लगभग आठ महीने तक सुनवाई और दलीलों को सुनने के बाद 26 अप्रैल 2022 को कोर्ट ने ईद के बाद ज्ञानवापी परिसर के सर्वे-वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया था ।


अदालत के आदेश पर नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों की मौजूदगी में 6 मई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराना शुरू किया। शुरुआत में शृंगार गौरी के विग्रह और दीवारों की वीडियोग्राफी ही हो पाई। जुमा का दिन होने के कारण बड़ी संख्या में मुसलमान ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने आये और सर्वे को लेकर धार्मिक नारेबाजी, बवाल और हंगामा किया था।

प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी सर्वे कार्य में बाधा पहुंचाते हुए आरोप लगाया था कि एडवोकेट कमिश्नर वादी पक्ष की तरह पार्टी बनकर कार्य कर रहे हैं। दूसरे दिन 7 मई काे प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कोर्ट कमिश्नर को हटाने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया। अपराह्न में मस्जिद में सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद के अंदर हैं और सर्वे के लिए रोक दिया। आरोप लगाया कि इस मामले में प्रशासन ने कोई सहयोग नहीं दिया। फिर 9 मई को अदालत में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष ने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं। सर्वे में अड़ंगा डालने के लिए उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी और सत्यापन की अनुमति दे दी जाए। 10 मई को अदालत में दोनों पक्षों के वकीलों के बीच डेढ़ घंटे तक बहस हुई थी। इस दौरान अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर के बदले जाने और ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर दलील पेश की। प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने तैयारी के साथ कुछ और तथ्य देने के लिए 11 मई तक का समय मांगा था।

इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 मई की तारीख तय कर दी। साथ ही कहा कि जरूरत पड़ने पर जज स्वयं मौके पर जाएंगे। 12 मई को अदालत ने फैसला सुनाया था कि सर्वे कमिश्नर अधिवक्ता अजय मिश्र नहीं हटाए जाएंगे। इस मामले में न्यायालय ने दो और विशेष और सहायक कमिश्नर नियुक्त किए । न्यायालय ने आदेश दिया कि 17 मई से पहले सर्वे किया जायेगा। बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।