मुस्लिम समाज को राष्ट्रीयता से कोई लेना-देना नहीं : शंकराचार्य वासुदेवानंद
भारत में जनसंख्या का बढ़ना राष्ट्रहित में नहीं - शंकराचार्य वासुदेवानंद
प्रयागराज। भारतवर्ष में कुछ लोगों की लगातार जनसंख्या का बढ़ना राष्ट्रहित में नहीं है। मुस्लिम समाज का पढ़ा-लिखा तबका भी कुरान की आयतों के अनुसार चलता है। उन्हें राष्ट्रीयता से कोई लेना-देना नहीं है। मुस्लिमों का एक अलग कानून है, जो भारतीय संविधान को नहीं मानते और केवल कुरान को ही मानते हैं।
उक्त विचार बुधवार को जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि से वार्ता के दौरान व्यक्त की। उन्होंने बताया कि हमारे यहां सनातन धर्म में भी दस पुत्रों को उत्पन्न करने के लिए शास्त्रों व वेदों में दिशा-निर्देश दिया है। लेकिन हमारे मनीषियों ने राष्ट्र की उन्नति के लिए समय के अनुसार परिवर्तन किया है। यह हमारे मुनि-ऋषियों की उदारता एवं उपलब्धि है।
शंकराचार्य ने मुस्लिमों द्वारा जनसंख्या नीति के विरोध के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस्लाम को मानने वाले जनसंख्या बढ़ाकर सत्ता पर अधिकार जमाना चाहते हैं, जो राष्ट्रहित के लिए बहुत हानिकारक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नीति को लेकर जो निर्देश दिया है, उसका स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में जो कठोर कानून लाया है, वह स्वागत योग्य है। देश की तरक्की के लिए इस जनसंख्या नीति पर सभी को अमल करना चाहिए।