सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल किया 

सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल किया 

सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल किया 

जम्मू, 15 नवंबर। साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज राँजड़ी, जम्मू में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि यह संसार इंद्रजाल की रचना है। उसमें इंसान सबकुछ भूल जाता है। जो सामने दिखता है वो सत्य लगता है।

साहिब जी ने कहा कि मैंने पहले चेताया था पर लोग मेरी बात को हलके में लेते हैं। मैंने सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग की बात की थी। वैज्ञानिकों ने बाद में इसकी बात की है। मैंने एक और बात की थी कि एक समय आयेगा कि आदमी लड़की से डरेगा। देखो आ गया है। मैंने कहा था कि भारतीय संस्कृति पाश्चात्य की तरफ जा रही है। आप देखो लड़के-लड़कियाँ घूम रहे हैं। बच्चे माता पिता को इग्नोर कर रहे हैं। मैं एक बात और बोल रहा हूँ, आप लिख लेना। 10 साल बाद 50 प्रतिशत लड़कियों की शादी नहीं होगी। मैं जो बात बोल रहा हूँ, उसकी शुरूआत अभी हो चुकी है। 10-15 प्रतिशत लड़कियों की शादी नहीं हो रही हैं। नौकरी की समस्या बहुत हो गयी है। यह बढ़ती जा रही है। नौजवान शादी नहीं करना चाह रहे हैं। कहीं विदेश जा रहे हैं। यह सब रचना काल की है। आदमी को इतना उलझाया है कि ईश्वर की तो बात ही छोड़ो, अपनी ही खबर नहीं है।

साहिब कह रहे हैं कि मैं किस किस को समझाऊँ, सब पेट के धंधे में उलझे हुए हैं। सब इंद्र जाल है। कोई एक दो नहीं उलझा है, सब उलझे हैं। सब अपने आप में गुम हैं। पर इंसान सोच नहीं रहा है। अपनी आत्मा को जानने का प्रयास नहीं कर रहा है। क्योंकि ब्रेन मंजूर नहीं करेगा। रोम रोम शरीर का विष से भरा हुआ है। सभी इंद्रियाँ अपने अपने विषयों की तरफ दौड़ाती हैं। सिस्टम ही ऐसा है कि रोज भूख लगती है। इसके लिए कर्म करना पड़ेगा। पूरा झमेला मायाबी है। इतना मजबूर है। जैसे जेल में रहने वाला मजबूर है। जब भी खड़ा करो, खड़े हाे जायेगा। जब भी कहो, काम करो तो काम करेगा। इसी तरह सबको एक अदृश्य ताकत नचा रही है। सभी उसके झमेले में फँसे हैं।