साथ न रहने वाली महिला ने दर्ज किया घरेलू हिंसा का केस

वैधता की चुनौती याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार

साथ न रहने वाली महिला ने दर्ज किया घरेलू हिंसा का केस

प्रयागराज, 14 जुलाई । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण कानून के तहत केस कायम करने के आदेश एवं कार्यवाही की वैधता की चुनौती याचिका पर अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची केस की ग्राह्यता सहित सभी मुद्दे अधीनस्थ अदालत में उठा सकता है। याचिका खारिज होने से उसके अपना पक्ष रखने के अधिकार पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।



याची का कहना था कि वह विपक्षी महिला के साथ एक घर में निवास नहीं कर रहा है। इसलिए घरेलू हिंसा कानून उसके खिलाफ लागू नहीं होगा। इसलिए केस की कार्यवाही रद्द की जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ वाई के श्रीवास्तव ने निवेश गुप्ता उर्फ अंकुर गुप्ता व दो अन्य की याचिका पर दिया है।



7 नवम्बर 20 को शाम्भवी केसरवानी ने निवेश गुप्ता के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज कराया। जिसे पंजीकृत कर कोर्ट ने सुनवाई की तारीख तय की। केस कायम करने की वैधता को चुनौती दी गई थी।



कोर्ट ने कहा कानून के तहत शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक व आर्थिक व दहेज उत्पीड़न से संरक्षण की व्यवस्था की गई है। मजिस्ट्रेट को संरक्षण के आदेश देने का अधिकार है। विशेष स्थिति में एक पक्षीय आदेश भी दे सकता है। उसका दायित्व है कि महिला को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 21 के तहत मिले मूल अधिकारों की रक्षा करें। सरकारी वकील का कहना था कि याचिका समय पूर्व दाखिल की गई है। अभी केस ही पंजीकृत हुआ है।