बांग्लादेश सीमा पर मिला तीन साल पहले गोरखपुर से लापता हुआ गणित शिक्षक, गांव में जश्न का माहौल
बांग्लादेश सीमा पर मिला तीन साल पहले गोरखपुर से लापता हुआ गणित शिक्षक, गांव में जश्न का माहौल
कोलकाता, 12 अगस्त । बांग्लादेश से लगे पेट्रापोल सीमा पर तनाव के बीच एक दिल छू लेने वाली घटना सामने आई है। तीन साल से लापता गणित शिक्षक अमित कुमार आखिरकार अपने परिवार से मिल गए हैं। वे कभी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बारगो गांव में अपनी शिक्षण प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध थे। उन्हें पागलपन की स्थिति में पाया गया, जब वह पेट्रापोल सीमा पर एक टूटी हुई पेड़ की शाखा के साथ मिट्टी में गणित के सवाल हल कर रहे थे।
अमित कुमार, जो अपने गांव के 312 बच्चों को 14 साल तक मुफ्त गणित की शिक्षा देते रहे, अचानक से लापता हो गए थे। तीन साल से उनका कोई पता नहीं था। उनकी मां और गांववाले उन्हें हर जगह खोज चुके थे लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
पेट्रापोल सीमा पर शिरीष के पेड़ों के पास एक युवक को देखकर स्थानीय लोगों को कुछ अजीब लगा। युवक को मिट्टी में गणित के सवाल हल करते देख उन्होंने उससे सवाल किया तो उसने हिंदी में जवाब दिया, "आपको कोई तकलीफ है? मुझे छोड़ दीजिए, मुझे मैथ्स सॉल्व करना है।" यह मामला पेट्रापोल थाने के आईसी उत्पल दास तक पहुंचा।
इसके बाद हैम रेडियो के माध्यम से वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सदस्य रुद्रप्रसाद घोष और स्थानीय समाजसेवी कल्याण विश्वास ने युवक से संपर्क किया। बातचीत के दौरान युवक ने गोरखपुर के पंचायत प्रमुख का नाम लिया, जिससे यह पता चला कि वह गोरखपुर का ही है। सूचना मिलने पर युवक के परिजन, जिसमें उसके पिता गामा प्रसाद भी शामिल थे, उसे लेने पहुंचे।
वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अम्बरिश नाग विश्वास ने सोमवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि
तीन साल से लापता अमित कुमार को पाकर उनके परिजन और पूरा गांव उत्सव मना रहा है। गणित के शिक्षक के रूप में बेहद लोकप्रिय अमित कुमार ने 15 गांवों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी थी। पंचायत में जो भी लोग आते थे, उन्हें पढ़ने-लिखने और गणित सिखाने में अमित की बेहतरीन भूमिका थी।
रविवार को पेट्रापोल थाने में आईसी उत्पल दास की उपस्थिति में वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सदस्य रुद्रप्रसाद घोष और स्थानीय समाजसेवी कल्याण विश्वास ने अमित को उनके पिता और अन्य परिजनों के सुपुर्द कर दिया। इस अवसर पर मिठाई भी बांटी गई।
अमित कुमार ने जाते-जाते सिर्फ इतना कहा, "अगर आपके मन में कोई तकलीफ हो तो मेरे पास आना।"
उनका पूरा गांव उम्मीद कर रहा है कि अमित जल्द ही सामान्य जीवन में लौट आएंगे और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवा जारी रखेंगे।