अचला सप्तमी पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी, माघ मेला अब समापन की ओर

मेला क्षेत्र में प्रारम्भ हुआ शैयादान का सिलसिला, पूर्णिमा से कल्पवासी करेंगे प्रस्थान

अचला सप्तमी पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी, माघ मेला अब समापन की ओर

प्रयागराज, 28 जनवरी। तीर्थराज प्रयाग में संगम की रेती पर चल रहे माघ मेले में अचला सप्तमी के पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने शनिवार को संगम सहित अन्य स्नान घाटों पर पुण्य की डुबकी लगाई। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य देकर दान का पुण्य भी कमाया।



पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने सात घोड़े वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे और पूरी सृष्टि को प्रकाशित किया था। इसीलिए हर साल माघ मास ही शुक्ल सप्तमी को अचला सप्तमी या सूर्य जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस तिथि को व्रत के साथ विधिवत पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि आज के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।



अचला सप्तमी के स्नान के साथ माघ मेला समापन की ओर बढ़ चला है। पांच फरवरी को माघी पूर्णिमा स्नान के बाद पवित्र गंगा के आंचल में एक माह का कल्पवास कर रहे कल्पवासी मेला क्षेत्र से विदा होने लगेंगे। ऐसे में जिन श्रद्धालुओं ने कल्पवास का 12 वर्ष पूरा कर लिया है, वे अब अपने व्रत की पूर्णाहुति मान शैयादान का अनुष्ठान शुरू कर दिए हैं। बाकि कल्पवासी सत्यनारायण व्रत कथा एवं अन्य पूजन आदि कर अपने एक माह के कल्पवास अनुष्ठान की पूर्णाहुति में जुट गए हैं।



कल्पवासियों के अलावा मेला क्षेत्र में स्थित साधु-संतों के शिविरों में भी आज विभिन्न अनुष्ठान सम्पन्न हुए। कई शिविरों में दिनभर अन्न-वस्त्र दान का सिलसिला चला। संतों के शिविरों में भंडारे चलते रहे। प्रसाद पाने के लिए शिविरों से लेकर सड़कों की पटरियों तक लंबी कतारें लगी रहीं। ओम नमः शिवाय शिविर, दंडी स्वामी नगर में अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम के शिविर में, ओल्ड जीटी रोड स्थित आद्य शंकराचार्य शिविर में आज हजारों संतों और श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।



गौरतलब है कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और अंतःसलिला सरस्वती के पावन तट पर इस वर्ष माघ मेला पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ छह जनवरी को प्रारम्भ हुआ। आधिकारिक रूप से माघ मेला महाशिवरात्रि के पर्व 18 फरवरी तक चलेगा, लेकिन कल्पवासी माघी पूर्णिमा के बाद ही यहां से प्रस्थान कर जाते हैं। ऐसे में अनौपचारिक रूप मेले का समापन माघी पूर्णिमा यानि पांच फरवरी को ही हो जाएगा।

इस बार माघ मेला लगभग 700 हेक्टेयर में बसाया गया है। पूरा मेला क्षेत्र छह सेक्टर में बंटा है। हर सेक्टर में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ एक डिप्टी एसपी की भी तैनाती की गई है। पूरे मेला क्षेत्र में 10 सुविधा केंद्र बनाए गए हैं। ठंड से बचाव के लिए जगह-जगह अलाव की भी व्यवस्था है। पूरे मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के भोजन के लिए साधु-संतों द्वारा जगह-जगह भंडारे भी संचालित हैं। मेला क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। लगभग पांच हजार पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। श्रद्धालुओं के आवागमन को लेकर भी अच्छी व्यवस्था की गई है। मुख्य स्नान पर्वों पर उप्र परिवहन निगम और रेलवे विभाग अतिरिक्त बसें व रेजगाड़ियां चलाता है।