एलटी ग्रेड टीचर भर्ती में चयनित ओवर ऐज अभ्यर्थियों का परिणाम जारी करने का निर्देश
एलटी ग्रेड टीचर भर्ती में चयनित ओवर ऐज अभ्यर्थियों का परिणाम जारी करने का निर्देश
प्रयागराज, 11 अगस्त । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड सहायक अध्यापक भर्ती 2018 में चयनित ऐसे अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है जो विज्ञापन जारी होते समय ओवर एज हो चुके थे।
हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश से इन अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया था। मगर याचिका पर अंतिम निर्णय न होने के कारण इनका परिणाम आयोग ने जारी नहीं किया था। दिव्य प्रकाश मिश्र, रामकृष्ण शुक्ला सहित दर्जनों याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुनवाई की।
याचीगण का पक्ष रख रहे वकीलों का कहना था कि सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड का विज्ञापन 19 दिसम्बर 2016 को जारी किया गया। कुल 5342 पदों पर नियुक्ति होनी थी। पद हेतु आवेदन करने की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष और अधिकतम 40 वर्ष थी। विज्ञापन जारी होते समय याचीगण अर्ह थे। मगर बाद में नियम बदलते हुए सरकार ने भर्ती परीक्षा लोक सेवा आयोग से कराने का निर्णय लिया और 2016 का विज्ञापन रद्द कर दिया गया। इसके बाद 15 मार्च 2018 को नया विज्ञापन जारी किया गया। जिससे कई अभ्यर्थी 40 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा को पार कर गए और आवेदन के लिए ओवरएज हो गए।
याचिका में तर्क दिया गया कि चूंकि रिक्तियां सृजित होते समय और चयन प्रक्रिया प्रारंभ होते समय याचीगण अर्ह थे। मगर विज्ञापन निरस्त करने के कारण वह चयन में शामिल नहीं हो सके इसलिए नए विज्ञापन में उनको आयु सीमा में छूट दी जाए। ऐसा न करने से याचीगण के नियुक्ति पाने के और समानता के अधिकार का हनन होगा।
कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत याचीगण को आवेदन करने और चयन प्रक्रिया में शामिल होने की छूट दी थी। इसमें शामिल होने वाले कई ओवर एज अभ्यर्थी चयनित भी हो गए मगर उनका परिणाम जारी नहीं किया गया था।
कोर्ट का कहना था कि याचीगण 2016 का विज्ञापन जारी होने के समय अर्ह थे और चूंकि एक बार चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी इसलिए उनको आयु सीमा में छूट पाने का अधिकार है। कोर्ट ने चयनित ओवरएज अभ्यर्थियों का परिणाम जारी करने और यदि वे अन्य योग्यताएं पूरी करते हैं तो उनको नियुक्ति देने का निर्देश दिया है। यह भी स्पष्ट किया है यह सिर्फ मौजूदा मामले के लिए है तथा इसे भविष्य के लिए नजीर न माना जाए।