हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह की मान्यता का अनुरोध किया खारिज
मां की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित
प्रयागराज, 13 अप्रैल। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कोर्ट से मान्यता देने के दो वयस्क लड़कियों के अनुरोध को खारिज कर दिया। कोर्ट ने मां द्वारा अपने वयस्क बेटी को विपक्षी वयस्क लड़की के कब्जे से मुक्त कराने को लेकर दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित कर दिया।
बुधवार को यह आदेश जस्टिस शेखर कुमार यादव ने मंजू देवी की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पारित किया। प्रयागराज शहर के अतरसुइया थाना अंतर्गत निवासिनी मां अंजू देवी ने कोर्ट से मांग की थी कि उसकी बेटी बालिग है। उसे विपक्षी लड़की ने अवैध रूप से अपने कब्जे में निरुद्ध कर रखा है। उसने विपक्षी लड़की के कब्जे से मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट से मांग की थी। मां का कहना था उसकी लड़की स्नातक पास है।
कोर्ट के आदेश पर दोनों लड़कियां कोर्ट में हाजिर रही। दोनों ने कोर्ट को बताया कि वे वयस्क हैं। दोनों ने आपसी सहमति से समलैंगिक विवाह कर लिया है। उनके समलैंगिक विवाह को न्यायालय द्वारा मान्यता प्रदान किया जाए।
सरकारी वकील ने लड़कियों के इस मांग का विरोध किया तथा कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कारों में ऐसी समलैंगिक विवाह गलत है। कहा गया कि किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है। सरकारी वकील ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि इस शादी से संतान उत्पन्न नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित दोनों वयस्क लड़कियों के समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के अनुरोध को खारिज कर दिया और इसी के साथ मां की तरफ से दाखिल बंदी रक्षक याचिका को निस्तारित कर दी।