इविवि में ‘गांधी और पर्यावरण’ पर कार्यक्रम

गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत को अपनाने की जरूरत : प्रो साहू

इविवि में ‘गांधी और पर्यावरण’ पर कार्यक्रम

प्रयागराज, 30 जनवरी । महात्मा गांधी विकास की नहीं बल्कि उन्नति की बात किया करते थे। वे चाहते थे कि भारतीय न केवल प्राकृतिक रूप से बल्कि नैतिक रूप से भी उन्नति करें। वे मानते थे कि प्रकृति विरासत में नहीं मिलती बल्कि वह हर पीढ़ी के लिए स्वतः उपस्थित रहती है। प्रकृति का असमान वितरण ही उन्नति में बाधा डालता है।

उक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार व नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली के सम्पादक पंकज चतुर्वेदी ने गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में ‘गांधी और पर्यावरण’ विषय पर व्यक्त कर रहे थे।



श्री चतुर्वेदी ने कहा कि महात्मा गांधी चाहते थे कि भारतवासी आत्मनिर्भर बनें और अपनी जरूरत की चीजों को स्वयं ही उत्पादित करें। पर्यावरण से जुड़ा उनका मूल सूत्र सर्वोदय, स्वच्छता और स्वावलम्बन से जुड़ा हुआ था। वे चाहते थे कि लोग इन्हीं सूत्रों का पालन करके अपनी प्रकृति के प्रति जिम्मेदार बने रहें। उनका कहना था कि हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ एवं समृद्ध प्रकृति सौंपने की जिम्मेदारी निभानी होगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पी.के साहू ने कहा कि आज गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत को अपनाने की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे गांधी के मार्ग का अनुसरण करें। इस अवसर पर गांधीवादी राजीव वर्मा ने गांधी कथा सुनाई तथा पिछले दिनों विश्वविद्यालय में आयोजित महात्मा गांधी को पत्र लेखन प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागी बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा मानसी गुप्ता ने अपने लिखे पत्र का पाठन किया। गांधी गीतों की प्रस्तुति जुगेश मुकेश गुप्ता तथा हर्ष कुमार ने किया। इन दोनों कलाकारों व मानसी गुप्ता को नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया।

इसके पूर्व गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रोफेसर संतोष भदौरिया ने वर्तमान समय में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ तोषी आनन्द ने तथा आभार ज्ञापन डॉ सुरेन्द्र कुमार ने किया।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से डॉ जनार्दन, डॉ अमृता, डॉ धनंजय चोपड़ा, डॉ दीनानाथ मौर्य, डॉ शैलेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ अंगीरा सेन शर्मा, प्रवीण शेखर, हरिओम कुमार आदि उपस्थित रहे।