धर्मांतरण विरोधी कानूनों के खिलाफ याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग, तीन फरवरी को सुनवाई
धर्मांतरण विरोधी कानूनों के खिलाफ याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग, तीन फरवरी को सुनवाई
नई दिल्ली, 30 जनवरी । जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने छह हाई कोर्ट में दाखिल धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर तीन फरवरी को सुनवाई करेगा।
वकील कपिल सिब्बल ने आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए कहा कि कोर्ट की रजिस्ट्री ने इस केस को नंबर देने से इस आधार पर मना कर दिया कि ट्रांसफर याचिका के लिए हाई कोर्ट्स के संबंधित पक्षकारों की सहमति नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 139ए(1) के तहत अगर कोई पक्षकार किसी भी हाई कोर्ट में पक्षकार है तो वो उस मामले से संबंधित दूसरे मामले के ट्रांसफर के लिए बिना पक्षकार की सहमति के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आज ही धर्मांतरण की दूसरी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इस मामले को देखेंगे।
जब दूसरे मामले सुनवाई के लिए आए तब चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को 3 फरवरी को सुनवाई के लिए लिस्ट करने का आदेश दिया। जमीयत की ओर से वकील एमआर शमशाद ने लिस्ट करने के लिए रजिस्ट्री की ओर से जताई गई आपत्ति का ध्यान दिलाया। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने रजिस्ट्री को लिस्ट करने का आदेश दिया है।
जिन छह राज्यों की हाई कोर्ट में धर्मांतरण का मामला लंबित है वे हैं गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश। दो राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर वहां की हाई कोर्ट ने आंशिक रोक लगा रखी है। दोनों राज्य सरकारों ने इन कानूनों पर आंशिक रोक के फैसले को चुनौती भी दी है।