स्वामी प्रसाद मौर्य का वनवासियों ने फूंका पुतला, युवाओं ने स्पीड पोस्ट से भेजी चूड़ी और बिंदी

स्वामी प्रसाद मौर्य का वनवासियों ने फूंका पुतला, युवाओं ने स्पीड पोस्ट से भेजी चूड़ी और बिंदी

स्वामी प्रसाद मौर्य का वनवासियों ने फूंका पुतला, युवाओं ने स्पीड पोस्ट से भेजी चूड़ी और बिंदी

वाराणसी, 08 फरवरी । श्रीरामचरित मानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लोगों का आक्रोश थम नही रहा। बुधवार को जिले में अलग—अलग जगहों पर युवाओं के साथ दलितों और वनवासियों ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य को खरी खोटी सुनाई और उनका पुतला भी फूंका।

भाजपा नेता दीपक सिंह राजवीर के अगुवाई में युवाओं ने बीएचयू पोस्ट आफिस से स्वामी प्रसाद मौर्या के घर के पते पर बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, लिपस्टिक, नेल पॉलिस, महावर, कंघी, शीशा और कीड़ी मारने की दवा भेजी। इस दौरान युवाओं ने कहा कि श्रृंगार की सामग्री स्वामी प्रसाद मौर्या के लिए भविष्य में अत्यन्त उपयोगी होगी। इसलिए हम लोगों ने शुभकामनाओं सहित उन्हें भेंट किया है। कीड़ी मारने वाली दवा स्वामी प्रसाद के अवसाद ग्रस्त दिमाग का इलाज करेगी।


राजवीर ने कहा कि मौर्य सिर्फ और सिर्फ देश को बांटना चाहते हैं। उनका न कोई सिद्धांत है न कोई विचार। एक मौकापरस्त व्यक्ति है, जिसने बहन कुमारी मायावती के चरण छूने से गाली देने तक का सफर तय किया है। मौका मिलते ही भाजपा में शामिल हुए। मगर, धन उगाई और परिवार के लोगों को सियासी टिकट न मिल पाने की वजह से समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। इसी क्रम में जिला मुख्यालय पर वनवासियों ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला फूंक कर आक्रोश जताया। महादलित अधिकार न्यास के बैनर तले जुटे वनवासियों ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य बौद्ध धर्म स्वीकार कर चुके हैं। रामचरित मानस सनातनधर्मियों का पवित्र धर्मग्रंथ है। स्वामी प्रसाद ने आपत्तिजनक बयान देकर हिंदू समाज को मर्माहत किया है।

संगठन के अध्यक्ष चेतराम बनवासी ने कहा कि हमलोग शबरी वंश के हैं। रामचरित मानस में माता शबरी की गोस्वामी तुलसीदास ने सुंदर व्याख्या की है। रामचरित मानस में ‘ढोल, गवार शूद्र पशु नारी चौपाई की गलत व्याख्या स्वामी प्रसाद ने की है। यदि रामचरित मानस की चौपाई गलत थी तो स्वामी प्रसाद पहले क्यों नही समझ पाये। दरअसल ये बयान 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर दिया है। स्वामी प्रसाद विवादास्पद बयान के जरिये दलितों और पिछड़ों में बटवारा कराना चाहते है। संगठन के सचिव अधिवक्ता शंशाक शेखर त्रिपाठी और अन्य पदाधिकारियों ने पुतला दहन के बाद अपनी मांगों का पत्रक एडीएम सिटी को सौंपा।