डॉ कल्पना की कविताएं वैयक्तिकता प्रधान हैं : प्रो आनन्द श्रीवास्तव

-डॉ कल्पना वर्मा की कविता संग्रह पर परिचर्चा

प्रयागराज, 14 फरवरी (हि.स.)। डॉ कल्पना वर्मा के कविता संग्रह ‘‘हर कविता कुछ कहती है’’ पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। मुख्य अतिथि सीएमपी डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ वर्मा की कविताएं वैयक्तिकता प्रधान हैं। कवि जो सुन लेता है, वह सामान्य व्यक्ति नहीं सुन सकता।



शुक्रवार को मोती लाल नेहरू रोड स्थित डॉ कल्पना वर्मा के आवास पर आयोजित परिचर्चा में प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि कविता केवल अनुभव से ही नहीं पैदा होती। कविता जब सिझती है और रीझती है, तभी पैदा होती है। फिर एक दूसरी दुनिया से हमारा परिचय कराती है। डॉ कल्पना वर्मा की कविताएं ऐसी ही हैं।

डॉ सुजीत सिंह हिन्दी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा कि कविता संग्रह डॉ कल्पना के संवेदनशील हृदय का दर्पण है। हर कविता सोचने के लिए बाध्य करती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से ही आए डॉ विनम्र सेन सिंह ने कहा कि डॉ कल्पना वर्मा की कविताएं शब्दों का वाग्जाल नहीं हैं। उसमें एक दर्शन मिलता है और आज के समाज पर चुटीला व्यंग्य मिलता है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फिल्म और थियेटर विभाग से आए डॉ. राजमणि ने संग्रह की कविताओं की तुलना फिल्म के साथ की। लेखिका ने इस अवसर पर अपनी रचना प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रो सपना वर्मा, आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ उर्मिला श्रीवास्तव, डॉ पुष्पलता अग्रवाल, विवेक सत्यांशु, पुष्पेन्द्र, प्रो रचना आनंद आदि ने भी परिचर्चा में उपस्थित रहे।