तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने की हकदार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भाजपा ने किया स्वागत
नई दिल्ली, 11 जुलाई । तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने की हकदार है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में कहा है कि गुजारा भत्ता कोई चैरिटी अथवा दान नहीं है बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।
जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला भी पति से गुजार भत्ता मांगने की हकदार है।
दरअसल, एक मुस्लिम शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े विस्तृत पहलू पर सुनवाई करते हुए ये अहम फैसला दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है। बुधवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। सुधांशु त्रिवेदी ने फैसले को मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ी राहत बताते हुए कहा कि यह महिलाओं को उनके धर्म की परवाह किए बिना सम्मान देने का फैसला है।
1985 के शाहबानो मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आई, पार्टी ने विभिन्न तरीकों से संविधान पर हमला किया है, उसे कमजोर करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट कर संविधान को कमजोर कर दिया था, जिसमें कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ते के अधिकार को बरकरार रखा था। उन्होंने कहा कि आज के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने 39 साल पहले मौजूद खतरे को खत्म कर दिया है। संविधान शरिया कानून से ऊपर है।
जदयू नेता केसी त्यागी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हम मुस्लिम महिल के अधिकारों का समर्थन करते हैं।