नागपंचमी पर्व पर आदि शक्ति कुष्मांडा का झूला श्रृंगार देख श्रद्धालु आह्लादित
दरबार में माता के श्रृंगारित विग्रह को देखने के लिए उमड़े श्रद्धालु
वाराणसी, 10 अगस्त । नागपंचमी पर्व पर शुक्रवार को दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा देवी का झूला श्रृंगार देख श्रद्धालु आह्लादित दिखे। माता रानी के विग्रह का झूले पर श्रृंगार का दर्शन पाने के लिए श्रद्धालु घंटों से कतारबद्ध रहे। मंदिर के महंत पंडित ऋषभ दुबे और संजू दुबे की देखरेख में दरबार में मंगलाआरती के बाद दर्शन पूजन के लिए मंदिर का पट आम लोगों के लिए खोल दिया गया। महंत ऋषभ दुबे ने बताया कि इस मंदिर में एक अलग तरह की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है। गर्भगृह सहित पूरे मंदिर परिसर को फूलों और अशोक तथा काामिनी के पत्तों,फलों से सजाया गया। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब कुष्मांडा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। माता ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। मां कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। भगवती दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा है। अपनी मंद-मंद हंसी से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है।