ईश्वर शरण महाविद्यालय में हुआ पुरा छात्र समागम
महाविद्यालय के विकास का कारण पुरा छात्रों की रचनात्मक ऊर्जा : प्राचार्य
प्रयागराज, 15 जून। ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में गुरुवार को महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ और स्टूडेंट्स एलुमिनाई एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में पुराछात्र समागम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि विजय द्विवेदी ने कहा कि इस महाविद्यालय परिसर के कण-कण में जीवंतता है।
विजय द्विवेदी, अपर शासकीय अधिवक्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब हम इस संस्थान में अध्ययनरत थे, तब इसका परिसर अत्यन्त सीमित था। परन्तु वर्तमान प्राचार्य प्रो. आनन्द शंकर सिंह ने मुंशी ईश्वर शरण की इस बगिया को अपनी तपो साधना से सिंचित कर इस वृहद परिसर के रूप में आकारित किया है। संस्थान के विकास की पृष्ठभूमि में उनका सकारात्मक दृष्टिकोण विद्यमान है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने कहा कि आज संस्थान का जो विकास हुआ है, उसका नैमित्तिक कारण कोई भी हो सकता है। परन्तु प्रच्छन्नतः इसके कारण हमारे पुरा छात्रों की रचनात्मक ऊर्जा है। इस संस्थान ने आधिकारिक रूप से स्टूडेण्ट एलुमिनाई एजुकेशन का पंजीकरण कराया है, जिसमें संस्थान की भूमिका सहायक मात्र की होगी। इसका वास्तविक नियमन नियंत्रण पुराछात्र करेंगे। संस्थान में पुराछात्रों के धरोहर के रूप में एक दीवार निर्मित की जायेगी।
जीतेन्द्र पाण्डेय सहायक आयुक्त जीएसटी कन्नौज, विजय शंकर मिश्रा सहायक आचार्य कानपुर, डॉ दीनानाथ मौर्या सहायक आचार्य हिन्दी विभाग इविवि, आरती द्विवेदी स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी प्रतापगढ़, प्रभाकर सिंह अध्यक्ष विकास पथ सेवा संस्थान चित्रकूट, संजय मिश्रा अधिवक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट, देश देशान्तर के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत विभिन्न पुराछात्रों ने अपने महाविद्यालयीय विद्यार्थी जीवन अनुभवों को साझा करते हुए सक्रिय सहभागिता की।
स्वागत वक्तव्य स्टूडेण्ट एलुमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ हर्षमणि सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की विकास यात्रा से सम्बंधित एक मूक फिल्म भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में डॉ शिवहर्ष सिंह, डॉ मान सिंह, डॉ आनन्द सिंह, डॉ धीरज कुमार चौधरी, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ रागिनी राय, डॉ विवेक यादव, डॉ रेफाक अहमद, डॉ जमील अहमद, डॉ मनोज कुमार दूबे, डॉ शैलेष यादव सहित महाविद्यालय के कई शिक्षकगण उपस्थित रहे।