'नहाए -खाए' से आरंभ हो गया छठ व्रत, व्रती महिलाओें ने छठ पूजन वेदी पर किया रंग-रोगन
'नहाए -खाए' से आरंभ हो गया छठ व्रत, व्रती महिलाओें ने छठ पूजन वेदी पर किया रंग-रोगन
लखनऊ, 08 नवम्बर । तप साध्य व्रत छठ पर्व का आरंभ सोमवार‘ नहाए-खाए‘ से हो गया। व्रती महिलाओं ने शाम को गोमती नदी के तट पर आकर छठ मैया पूजन की वेदी की लिपाई-पुताई की। महिलाओं के चेहरे पर छठ व्रत को लेकर बहुत खुशी दिखी। सभी महिलाएं और उनके साथ में आए पुरुषों ने वेदी की खूब सफाई की। छठ घाट पर काफी महिलाएं वेदी की सफाई-पुताई करने आई थीं। उधर घाट पर पूजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियां भी चल रही थीं।
सुबह व्रती महिलाओं ने पवित्रता से स्नान कर परम्परागत चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल खाकर ‘नहाए -खाए‘ रस्म पूरी की। घाट पर छठ मैया की वेदी की रंगाई करने आईं रेनू शर्मा ने बताया कि क्षेत्र के अनुसार परम्पराओं में थोड़ा बहुत अंतर भी आ जाता है। कहीं- कहीं परिवारों में चावल की जगह रोटी भी बनती है। साथ में आए उनके पति बताते हैं कि पूजन की तैयारियां तो एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है। इस व्रत में पवित्रता का इतना ध्यान रखा जाता है । गेहूं को धोकर जब सुखाते हैं, तो एक व्यक्ति उस गेहू की बराबर देखभाल करता है, जब तक कि गेहूं पूरी तरह से सूख न जाए। ऐसा इसलिए करते हैं जिससे कि उसमें कोई गंदगी न आ जाए। ‘ नहाए-खाए‘ में मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर ही उस पर भोजन बनाया जाता है। रेनू बताती हैं कि वेदी में ऊपर लाल रंग और उसके नीचे पीला रंग लगाते हैं। जैसे सूर्य दिखता है। वह बताती हैं कि पति या बेटा फल व अन्य पूजन सामग्री से से भरी डलिया सिर पर रखकर नदी तक लाते हैं।
पूजन वेदी की पुताई करने आईं एक अन्य व्रती महिला बिन्दू शर्मा ने बताया कि किसी ने वेदी तोड़ ठीक करने आएं हैं। इसकी पुताई भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ।‘ नहाए-खाए‘ के दूसरे दिन मंगलवार को ‘खरना‘ होगा। ‘खरना‘ में शाम को चावल की खीर खाई जाती है। उसके बाद से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। वह बताती हैं कि अपनी पारिवारिक परम्परा के अनुसार कहीं गुड़ तो कहीं चीनी की खीर भी बनती हैं।
घाट पर छठ मैया पूजन की वेदी की पुताई कर रही राम दुलारी द्विवेदी बताती हैं कि मेरे साथ दूसरा कोई भी इस वेदी पर पूजा कर सकता है। वह बताती हैं बुधवार को बड़ी छठ होगी। इस दिन पानी में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को जल दिया जाएगा, जो इस व्रत की विशेष बात है। उसके दूसरे दिन सुबह उदय होते सूर्य को जल देकर ही व्रत पूर्ण किया जाता है।
उधर घाट पर छठ पूजन और यहां होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए मंच तैयार किया जा रहा था। टेंट को भी लगाया जा रहा था। यहां अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से पर्व पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।