लीवर व किडनी खराब होने के पूर्व शरीर देती है सूचना : सतीश राय

मोहल्ले स्तर पर हो जांच की लैब

लीवर व किडनी खराब होने के पूर्व शरीर देती है सूचना : सतीश राय

प्रयागराज, 27 जुलाई । उमस के समय वातावरण में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण शरीर से बाहर निकलने वाला पसीना सूख नहीं पाता, जिसके कारण शरीर के आंतरिक अंग प्रभावित होते हैं। इसके कारण हार्ट, लीवर व किडनी कमजोर हो जाता है और ठीक ढंग से कार्य नहीं कर पाते। जिसकी जानकारी शरीर में होने वाले परिवर्तनों से होती है। ऐसे में प्राकृतिक और शुद्ध आहार की जगह नकली खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर के लिए घातक होता है।

यह बातें एस के आर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर प्रख्यात स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने लोगों से कही। उन्होंने कहा कि उमस के समय लोगों में बेचैनी, घबराहट, सिर दर्द, सर्दी-जुखाम, बुखार, खुजली, आंखों के रोग, कमजोरी, चक्कर खाकर गिरने जैसी घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में यदि मौसम के अनुसार खान-पान का ध्यान न रखा जाए तो यह घातक सिद्ध हो सकता है।

इम्यून सिस्टम मजबूत करने और स्वस्थ रहने के लिए करें स्पर्श ध्यान

राय ने कहा कि जब हमारे अंगों में कोई खराबी आती है तो हमें पूर्व में ही संभलने के लिए आंतरिक शक्तियां हमें सूचना देती हैं। जैसे पेट दर्द, सूजन, पीलिया, त्वचा पर लाल चकत्ते या खुजली होना, उल्टी, हमेशा थकावट का महसूस होना दर्शाता है कि हमारा लीवर कमजोर हो गया है।

इसी तरह पैरों या एड़ी के आसपास सूजन, घुटनों में सूजन, चेहरे पर सूजन, पिंडली या शरीर में सूजन जैसे लक्षण किडनी में आई गड़बड़ी के कारण होता है। उन्होंने कहा कि यदि मौसम के अनुसार पदार्थों का सेवन करने के साथ-साथ रोज 10 से 15 मिनट स्पर्श ध्यान करें तो इससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होगा और हम स्वस्थ रहेंगे।

रसायन युक्त मिलावटी आहार से किडनी-लीवर के रोग



सतीश राय ने कहा कि उमस में हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिसके कारण इस तरह की समस्या पैदा होती है। शुद्ध आहार न लेकर नकली खाद्य पदार्थ का सेवन या रसायन युक्त मिलावटी आहार खाने से किडनी, लीवर, त्वचा, आंत तथा पेट के अन्य आंतरिक अंगों को नुकसान होता है। यदि लगातार इसका सेवन हो रहा है तो किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।

मोहल्ला स्तर पर जांच की लैब होनी चाहिए

सतीश राय ने कहा कि नकली खाद्य पदार्थ रोकने के लिए कभी-कभार छोटे दुकानदारों पर ही कार्रवाई होती है। बड़े स्तर पर करने वालों के खिलाफ कुछ नहीं होता। खाद्य पदार्थ पैकेट या डिब्बाबंद में क्या मिलाया गया है, ऐसे पदार्थों की जांच के लिए मोहल्ला स्तर पर लैब हो तो इस पर रोक लग सकती है। इससे कोई भी व्यक्ति कुछ धनराशि देकर जांच करवा सकता है।