गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा 69304 मतों से  जीते

सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी मात्र 27 हजार 574 मत ही प्राप्त कर सके

गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा 69304 मतों से  जीते

गाजियाबाद, 23 नवंबर। गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी संजीव शर्मा ने 69304 मतों से जीत हासिल की। उन्होंने कुल

96हजार878 मत हासिल कर जीत का परचम लहरा दिया। समाजवादी पार्टी व कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी सिंह राज जाटव 27हजार 574 मत प्राप्त कर दूसरे नम्बर पर रहे।

बहुजन समाज पार्टी के पीएन गर्ग को मात्र 10हजार 729 मत मिले और तीसरे नम्बर पर रहे। एआईएमआईएम के प्रत्याशी रवि गौतम 6हजार 729 तथा अंबेडकर समाज पार्टी के प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी ने 6हजार298 मत प्राप्त किया। 791 मत मत नोटा के खाते में गए।

21 नवम्बर को सम्पन्न हुए मतदान में कुल 33.33 प्रतिशत हुआ था। जिसमें कुल 1लाख 53हजार 359 मत पड़े।

इस चुनाव में सबसे खास बात रही कि समाजवादी का और कांग्रेस पार्टी का वह तिलिस्म टूट गया जिसमें वह दलित और मुसलमान के मत प्राप्त करने की बात कर रहे थे। इसके अलावा अंबेडकर समाज पार्टी,एआईएमआईएम के प्रत्याशी सात हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके। मतगणना के दौरान प्रत्याशियों के हाव-भाव बदलते रहे। इससे पहले सुबह 8:00 से गोविंदपुरम स्थित अनाज मंडी में मतगणना शुरू हुई। पहले राउंड से ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी संजीव शर्मा ने जो बढ़त बनाई वह लगातार अंतिम चरण तक बनी रही। स्थिति यह रही कि उनकी जीत उम्मीद से कहीं ज्यादा थी।ऐसा पहली बार था कि जब भारतीय जनता पार्टी का महानगर अध्यक्ष रहने के साथ-साथ विधानसभा उपचुनाव में कोई लड़ा हो । ऐसे में संगठन की भी परीक्षा होनी थी। जिसमें संजीव शर्मा पास हो गए और उन्होंने उम्मीद से ज्यादा मत प्राप्त कर उन्होंने विजय श्री हासिल की। संजीव शर्मा ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कड़ी मेहनत की और सबसे ज्यादा जीतने की उम्मीद होने के बावजूद भी उन्होंने मुस्लिम इलाकों को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा जगह हो जहां पर खुद संपर्क ना किया हो। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सिंह राज केवल इस पर अटके रहे कि मुसलमान व दलित मजबूरीवश उन्हें ही वोट देंगे। नतीजा आया कि मुसलमान दलित उन्हें उम्मीद से कम मिले। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि सिंह राज को जिस तरह की मेहनत इन दोनों कम्युनिटी में करनी चाहिए थी वह नहीं कर सके। ज्यादातर समाजवादी पार्टी वालों को यही कहना था कि मुसलमान की गठबंधन को वोट देना मजबूरी है जब मुसलमान का वोट देता दिखाई देगा तो दलित अपना आप ही इनके के पक्ष में आ जाएगा। यह हवा हवाई सिंह राज को ले बैठी और जो एक चांस था वह उन्होंने खो दिया। अंबेडकर समाज पार्टी का भी यहां पर जादू नहीं चल सका उनके प्रत्याशी सतपाल चौधरी मंत्र 6000 से कुछ ज्यादा ही मत प्राप्त कर सके। एमआईएमआई की लगभग यही स्थिति रही। वहीं लोकसभा चुनाव में प्रदेश स्तर पर कांग्रेस सपा गठबंधन को जो सफलता मिली थी उससे जो दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश था वह गायब हो गया है। और उनके चेहरे लटक गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उनके विजय यात्रा को रोक दिया है। भविष्य के चुनाव में संभावित प्रत्याशियों को इनसे सबक लेना चाहिए और यदि भाजपा से लड़ना है तो उन्हें भाजपा से कहीं ज्यादा मेहनत करनी होगी और तभी कुछ सफलता मिलने की संभावित हो सकती है।