मनमानी बिजली बिल वसूली नोटिस उपभोक्ता का उत्पीड़न ही नहीं अदालत पर भारी बोझ : हाईकोर्ट
प्रबंध निदेशक को ऐक्शन लेने का निर्देश
प्रयागराज, 28 अप्रैल । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बकाये बिजली बिल का अंतिम निर्धारण किये लाखों की वसूली नोटिस भेजना न केवल उपभोक्ता को अनावश्यक परेशान या उत्पीड़न करना है, अपितु कोर्ट पर भारी बोझ डालना भी है। इससे विभाग की छवि में गिरावट आ रही है।
कोर्ट ने कहा बिजली विभाग ने याची के खिलाफ जारी 4 लाख 3 हजार 692 रूपये बिजली बिल बकाये की वसूली नोटिस खुद ही वापस ले ली है। किंतु उसे परेशान किया गया। इसलिए विभाग याची को 20 हजार रूपये हर्जाने का भुगतान करें और विभाग चाहे तो दोषी अधिकारियों से इसकी भरपाई कर लें।
कोर्ट ने डिस्काम के प्रबंध निदेशक को जरुरी कार्रवाई करने के लिए आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने फिरोजाबाद के निवासी सनी यादव की याचिका पर दिया है।
कोर्ट के निर्देश पर बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची के बकाये का अंतिम निर्धारण नहीं किया गया है। इसलिए लिपिकीय गलती से जारी वसूली नोटिस वापस ले ली गई है। कोर्ट ने कहा दाखिल याचिकाओं में अक्सर देखा जा रहा कि बिना असेसमेंट के वसूली कार्रवाई कर उपभोक्ताओं को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। जो उचित नहीं है।