अनूपपुर: गज के नीचे जो निकले वह पुण्य न निकले वह पापी, पाप-पुण्य का पैरामीटर
अनूपपुर: गज के नीचे जो निकले वह पुण्य न निकले वह पापी, पाप-पुण्य का पैरामीटर
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अनूपपुर, 2 फ़रवरी (हि.स.)। ऐसा माना जाता है की मां गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं, वहीं नर्मदा जी को देखने मात्र से मनुष्यब के पाप का नाश होता हैं। जिले की पवित्र नगर अमरकंटक में एक ऐसे गज (हाथी) की प्रतिमा हैं, जहां लोग अपने पाप-पुण्य का परीक्षण जरूर करते हैं। इस गज को 'पाप मापी यंत्र' कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि जो भी यहां आता हैं परीक्षण करने से खुद को नहीं रोक पाता हैं। जिले में कई ऐसे अद्भुत दर्शनीय धार्मिक स्थल हैं, जिनकी कहानियां दूर-दूर तक प्रचलित हैं. जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। मां नर्मदा के उद्गम स्थल के मंदिर परिषर में मौजूद गज जिसकी कहानी भी अद्भुत है. जो भी अमरकंटक में मां नर्मदा के दर्शन को जाता है, इस गज के माध्यम से अपने पाप-पुण्य का परीक्षण जरूर करता है। हजारों वर्षो से यह गज पाप-पुण्य का पैरामीटर बना हुआ है।
अनूपपुर जिले के अमरकंटक से नर्मदा नदी का उद्गम होता है मां नर्मदा का जहां से उद्गम हुआ है वहां एक कुंड बना है और नर्मदा मैया का मंदिर बना हुआ है। परिषर में एक छोटा सा गज भी मौजूद है, जिसके बारे में एक खास मान्यता है कि इस गज के पैरों के बीच से जो निकल जाता है वह पाप मुक्त होता है और जो नहीं निकल पाता है वह पापयुक्त होता है। ये भी कहा जाता है कि कई मोटे लोग भी बड़े आराम से पैरों के बीच से निकल जाते हैं. वहीं, कई सामान्य लोग भी नहीं निकल पाते हैं।
नर्मदा मंदिर के पुजारी घंनेश द्विवेदी उर्फ बंदे महाराज बताते हैं कि पहले का जमाना राजा-रजवाड़ा का था, कलचुरी के समय चल रहा था इस समय में जब भी यहां के किसी राजा ने महल, किले या कोई मंदिर बनवाया तो उसके दरवाजे बड़े मजबूत बनाए जाते थे, उन दरवाजों पर ऐसे ही गजों की स्थापना की जाती थी, इनमें से कोई गज के नाम से कोई अश्व नाम से तो कोई सिंह के द्वार के नाम से जाना जाता था. वहीं से ये गज स्थापित हुआ। यह जो गज है वो भी विशेष बनाया गया है। जो चलायमान स्थिति में बनाया गया है, इसमें से निकलने के लिए भी तकनीक है पहले आप अपने हाथ निकालें, फिर अपने स्कंद वाले भाग को जाने दें और हल्का सा तिरछा होकर निकलें तो कितना भी मोटा आदमी हो वो निकल जाता है. दुबले पतले तो सामान्य तौर पर निकल ही जाते हैं ये उस स्थान की विशेषता भी है और लोगों को अपने पाप-पुण्य का पैरामीटर भी मिल गया।
एक ओर जहां 144 साल बाद ऐसा संयोग बना प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन में देश-विदेश से लोग त्रिवेणी संगम में मां गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं।