जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है: अमित शाह

जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है: अमित शाह

जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है: अमित शाह

वाराणसी, 13 नवम्बर । "जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं, वे दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं।" केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को वाराणसी में दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन करते उक्त बातें कहीं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले हिंदी भाषा के लिये बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वह वक्त अब समाप्त हो गया है। देश के प्रधानमंत्री ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है।


आगे उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति का एक प्रमुख बिंदू भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के साथ राजभाषा का संरक्षण एवं संवर्धन करना भी है। नई शिक्षा नीति में राजभाषा और मातृभाषा पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री ने यह जो नया परिवर्तन किया है, वह भारत के भविष्य को परिवर्तित करने वाला होगा।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं। उन्हें हमें आगे बढ़ाना है। भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी, उतनी ही संस्कृति एवं सभ्यता विस्तृत और सशक्त होगी। अपनी भाषा से लगाव और अपनी भाषा के उपयोग में कभी भी शर्म मत कीजिए। यह गौरव का विषय है।

आजादी के अमृत महोत्सव की चर्चा करते हुये केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मैं देश के सभी लोगों का आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतरविरोध नहीं है।

वे अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के अन्तिम दिन शनिवार को बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल हस्तकला संकुल (ट्रेड फैसिलिटी सेंटर) में भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपनी बात रख रहे थे।

तीन-तीन सत्रों में चलने वाले सम्मेलन में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने के विषय में विचार-मंथन हो रहा है। पहले सत्र में स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्र भारत में संपर्क भाषा एवं जनभाषा के रूप में हिंदी की भूमिका तथा दूसरा सत्र राजभाषा के रूप में हिंदी की विकास यात्रा और योगदान विषय पर आयोजित किया जा रहा है।

सम्मेलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, निशिथ प्रमाणिक समेत देशभर से आये विद्वान भाग ले रहे है। यह सम्मेलन गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की तरफ से आयोजित किया गया है।

सम्मेलन के तीसरे सत्र में भाषा चिंतन की भारतीय परंपरा और संस्कृति के निर्माण में हिंदी की भूमिका विषयक गोष्ठी, न्यायपालिका में हिंदी-प्रयोग और संभावनाएं विषय पर चर्चा होगी।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व शुक्रवार शाम केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने बताया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पहल पर राजभाषा विभाग राजभाषा सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।

आगे उन्होंने कहा था कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत यह सम्मेलन बनारस में पहली बार हो रहा है। केन्द्रीय राज्य मंत्री मिश्रा ने कहा कि 2014 के बाद जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्य आरंभ किया है और उससे पहले से ही हिंदी में काम करते रहे हैं। पिछले सात वर्षों में हमने व्यापक परिणाम देखे हैं। पिछले सात वर्षों में हिंदी बोलने लिखने और पढ़ने वालों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है।


प्रधामनंत्री ने हिंदी को सरल कर रोजमर्रा के शब्दों को प्रयोग करने पर भी ज़ोर दिया है। विदेशों में भी 30 करोड़ से अधिक हिंदी भाषी है। विश्व के 150 देशों में 18 से 20 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। इसके अलावा 600 से अधिक महाविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।