“संस्कृति की अमूल्य धरोहर : योग”: डॉ. रीना रवि मालपानी

“संस्कृति की अमूल्य धरोहर : योग”: डॉ. रीना रवि मालपानी

योग है प्राचीन परम्परा की अमूल्य धरोहर।

इसके करने से तन-मन होता प्रफुल्लित और मनोहर॥

योग दिवस की पहल में है भारत की निर्णायक भूमिका।

विश्वस्तर पर इसकी स्वीकृति में भला निहित है सभी का।।

योग का विचार है वृहद और उन्नत भाव।

प्रतिदिन अभ्यास से होता सौम्य स्वभाव॥

उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह तो है संजीवनी बूटी समतुल्य।

इसको अपनाने से आती ऊर्जा अतुल्य॥

रोगो से मुक्ति का है योग उन्नत द्वार।

खुशहाल, शांत और समृद्ध जीवन को हम बनाएँगे आधार॥

योग तो है प्राचीन भारतीय संकृति का अहम हिस्सा।

स्वअनुशासन से अपनाने से अंत होगा असाध्य रोगों का भी किस्सा॥

योग और प्राणायाम को अपनाकर आरोग्य का साथ पाओ।

डॉ. रीना कहती, खुद भी योग करो और सभी को सिखलाओं॥

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)