बच्चे को गोद लेने के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं : हाईकोर्ट

ट्रान्सजेन्डर भी बच्चे को ले सकते हैं गोद

बच्चे को गोद लेने के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 22 फरवरी । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि किसी बच्चे को गोद लेने के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि बच्चे को गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है । हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 7 और धारा 8 में विवाह या विवाह पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट के इस आदेश से ट्रान्सजेन्डर महिला भी बच्चे को गोद ले सकती हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एक बच्चे को गोद लेने के एक एकल माता-पिता एक बच्चे को हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम, 1956 के तहत गोद ले सकते हैं। यह आदेश जस्टिस डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस विवेक वर्मा की बेंच ने एक ट्रांसजेंडर महिला रीना किन्नर और उसके पति द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। जिसमें उप रजिस्ट्रार, हिंदू विवाह, जिला वाराणसी से उनके विवाह को रजिस्टर्ड करने के लिए ऑनलाइन आवेदन पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए कोर्ट से मांग की गई थी।

याची (ट्रांसजेंडर महिला) और उसके पति (लड़का) ने दिसम्बर 2000 में महावीर मंदिर अर्दली बाजार, वाराणसी में शादी की। उन्होंने तब एक बच्चा गोद लेने का फैसला किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि बच्चे को गोद लेने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। इसलिए उन्होंने उप-रजिस्ट्रार, हिंदू विवाह, जिला वाराणसी के यहां एक ऑनलाइन आवेदन दायर किया।

हालांकि, उनकी शादी को पंजीकृत इस कारण नहीं किया जा सका क्योंकि याची नं 1 एक ट्रांसजेंडर महिला है। नतीजतन, उन्होंने सब रजिस्ट्रार को अपनी शादी को पंजीकृत करने का निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की ताकि वे एक बच्चे को गोद ले सकें।

यद्यपि हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को 03 दिसम्बर 2021 को विवाह पंजीकरण के लिए याचिकाकर्ताओं के ऑनलाइन आवेदन पर विस्तृत आदेश जारी करने का निर्देश दिया। परन्तु अदालत ने स्पष्ट किया कि बच्चे को गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया।