कोरोना में बनी ढाल देसी नस्ल की गाय, सर्वेक्षण का निष्कर्ष

कोरोना में बनी ढाल देसी नस्ल की गाय, सर्वेक्षण का निष्कर्ष

कोरोना में बनी ढाल देसी नस्ल की गाय, सर्वेक्षण का निष्कर्ष

पुणे, 30 जून (हि.स.)। महाराष्ट्र के पुणे में स्थित गोसेवा समिति के सर्वेक्षण में चौंकाने वाला निष्कर्ष सामने आया है। देसी नस्ल की गाय के संपर्क में रहनेवाले लोग कोरोना से अछूते रहे हैं। समिति की तरफ से 300 गोशालाओं में किये गए सर्वेक्षण में यह तथ्य निकलकर सामने आया है।

 

गोसेवा समिति के गिरीश वैकर ने बताया कि उन्होने कोरोना काल में राज्य के 300 गौशालाओं का सर्वेक्षण किया। इससे यह पता लगाने का प्रयास था कि देशी गायों के संपर्क में आनेवाले लोग कोरोना से संक्रमित थे या नहीं। इसमें आश्चर्यजनक तथ्य निकलकर सामने आए। बतौर वैकर राज्य के कुल 300 गौशालाओं में से 292 गौशालाओं में कोरोना का प्रादुर्भाव नहीं पाया गया।

 

खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर लोग विभिन्न कार्यों के लिए बाहर भी जा रहे थे। लगभग आठ गोशालाओं ने ऐसा भी बताया कि अपने एक-दो सहकर्मी को कोरोना हो गया है। वैकर के अनुसार इन 300 गौशालाओं में कुल 1895 लोग प्रतिदिन देशी गायों के संपर्क में थे। इनमें से 1881 में कोरोना के लक्षण नहीं पाये गये। सर्वे के मुताबिक देशी गायों के संपर्क में आए 99.27 फीसदी लोग कोरोना से संक्रमित नहीं हुए।

 

नैसर्गिक सैनिटाइजर

पुणे स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला से सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद मोघे ने बताया कि, गोमूत्र पर देश-विदेश में काफी संशोधन हुए हैं। इसमें हमारे देश को कुल छह पेटेंट मिले हैं। गोमूत्र वैज्ञानिक रूप से एंटीबायोटिक, एंटीफंगल, बायो-एन्हांसर, एंटी-माइक्रोबियल, प्रतिरक्षा बढ़ाने और एंटीकैंसर गुणों के लिए सिद्ध है।

 

डॉ. मोघे ने कहा कि, गोशाला में काम करनेवाले लोग रोजाना गोबर और गोमूत्र के संपर्क में आते हैं। चूंकि गोमूत्र में व्होलाटाइल ऑरगॅनिक आणि फेनॉलिक कंपाऊंड होता हैं, यह एक एंटीवायरल कीटाणुनाशक और सैनिटाइज़र के रूप में कार्य करता है। नतीजतन 99 फीसदी से ज्यादा लोग कोविड संक्रमण से दूर रहने की संभावना है।

 

गोसंपर्क के बारे मे तथ्य सामने रखते हुए पुरुषोत्तम लधा और निरंजन गोले ने देसी गायों के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने रखे। पुणे पंजरापोल के निदेशक पुरुषोत्तम लधा ने कहा कि पुणे स्थित भेसरी की गोशाला में 1600 गायें हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत देशी गायें हैं। यहां कुल 40 महिलाएं काम करती हैं। इनमें से कोई भी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ। लधा ने बताया कि यह निश्चित रूप से पंचगव्य का परिणाम है।

वहीं, पुणे महानगर गोसेवा समिति के समन्वयक निरंजन गोले ने कहा कि देशी गायों के साथ रहनेवालों में कोरोना के मामलों में कमी देखी गई। इसके लिए राज्य की 300 विभिन्न गोशालाओं से 18 विभिन्न प्रश्नावली के माध्यम से विस्तृत सर्वेक्षण किया गया। ज्यादातर लोगों ने कहा कि कोरोना का कुछ भी प्रभाव नहीं दिखा। वैज्ञानिक स्तर पर भी इसके प्रभावों की जांच की गई।