कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह का निधन
सीएम-डिप्टी सीएम और नेता प्रतिपक्ष ने जताया शोक
पटना, 08 सितम्बर । कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह का निधन हो गया है। पटना में खगौल के पास एक निजी अस्पताल क्यूरिस हॉस्पिटल में उन्होंने बुधवार सुबह अंतिम सांसें ली। उनके निधन पर सीएम, डिप्टी सीएम नेता प्रतिपक्ष सहित दूसरे राजनेताओं ने शोक प्रकट किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व. सदानंद सिंह अनुभवी राज नेता थे। वे अपने क्षेत्र में लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व की बदौलत समाज के सभी वर्गों का आदर एवं सम्मान प्राप्त किया। उन्होंने भागलपुर की कहलगांव विधानसभा सीट का नौ बार प्रतिनिधित्व किया। वे 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे।
वे बिहार सरकार में सिंचाई और ऊर्जा राज्यमंत्री रहे। उनसे मेरा व्यक्तिगत संबंध था। उनके निधन से मैं मर्माहत हूं। बिहार की राजनीति में उनका अहम योगदान था। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने अपने शोक संदेश में कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता सदानंद सिंह के निधन की खबर व्यथित कर देने वाली है। उनके जाने से बिहार के राजनीतिक व सामाजिक जगत में उभरा शून्य जल्द भरा नहीं जा सकेगा। हमारी संवेदनाएं उनके परिजनों के साथ है। ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों मे स्थान दें।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सदानंद सिंह जी के निधन पर गहरी शोक-संवेदना व्यक्त करता हूं। उनका लंबा सामाजिक-राजनीतिक अनुभव रहा। वे एक कुशल राजनेता थे। ईश्वर से उनकी आत्मा को शांति तथा शोक संतप्त परिजनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी शोक जताया है। उन्होंने कहा कि सदानंद बाबू की कमी हमेशा खलेगी। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि सदानंद बाबू जमीन से जुड़े हुए नेता थे। संगठन के संचालन की उनमें अद्भुत क्षमता थी। मेरा सौभाग्य था कि जब वे पहली बार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने तो मैं महामंत्री था। उनके नेतृत्व में कांग्रेस की संगठनात्मक राजनीति हमने शुरू की। वे मिलनसार, हंसमुख और हर किसी को मदद के लिए तैयार रहने वाले नेता थे। प्रदेश कांग्रेस संगठन की राजनीति में वे खुद एक संस्थागत व्यक्ति बन चुके थे। बिहार की राजनीति पर उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनका निधन मेरी व्यक्तिगत क्षति तो है ही प्रदेश कांग्रेस को भी काफी नुकसान झेलना पड़ेगा।
सदानंद सिंह का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। वे पहली बार कहलगांव सीट से 1969 में जीतकर विधायक बने थे। विधानसभा अध्यक्ष के अलावा बिहार सरकार में कई विभागों के मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे भागलपुर की कहलगांव विधानसभा सीट से नौ बार विधायक रहे। 2020 विधानसभा चुनाव में उनकी जगह बेटे शुभानंद मुकेश ने ली थी। हालांकि, वह भाजपा के पवन यादव से करीब 42 हजार वोटों से हार गए थे।
जमीनी नेताओं में थी पहचान, उम्र की वजह से राजनीति से दूर हुए
सदानंद सिंह की पहचान बिहार के जमीनी नेताओं में होती थी। साल 1969 में वो पहली बार कहलगांव सीट से विधायक बने थे। साल 1977 की कांग्रेस विरोधी लहर में भी सिंह कहलगांव सीट से कांग्रेस के टिकट पर ही जीते थे। पार्टी में कुछ विवाद की वजह से उन्होंने 1985 में कहलगांव से निर्दलीय भी चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। एकबार कांग्रेस के टिकट पर भागलपुर लोकसभा का चुनाव लड़े। हालांकि, सफलता नहीं मिली। 2015 विधानसभा चुनाव के बाद ही उन्होंने संकेत दे दिया था कि यह उनका आखिरी चुनाव है।
उल्लेखनीय है कि पटना के खगौल के पास क्यूरिस हॉस्पिटल में लगभग दो माह से उनका इलाज चल रहा था। लीवर सिरोसिस जब बढ़ने लगा तो किडनी में इंफेक्शन हो गया। इसके बाद मंगलवार को उनका डायलिसिस किया गया। लेकिन उनके शरीर ने डायलिसिस बर्दाश्त नहीं किया और बुधवार सुबह नौ बजकर नौ मिनट पर उनका निधन हो गया। उन्हें एक पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। शुभानंद राजनीति में एक्टिव हैं। तीन बेटियां सुचित्रा कुमारी, सुदिप्ता कुमारी और सुविजया कुमारी हैं।