महंत नरेन्द्र गिरि के अन्तिम दर्शन को बाघम्बरी मठ पहुंचे परिजन, गांव में छाया मातम

नरेन्द्र गिरि के अन्तिम दर्शन को बाघम्बरी मठ पहुंचे परिजन, गांव में छाया मातम

महंत नरेन्द्र गिरि के अन्तिम दर्शन को बाघम्बरी मठ पहुंचे परिजन, गांव में छाया मातम

प्रयागराज, 22 सितंबर । देश भर के साधु संतों के मुखिया महंत नरेंद्र गिरि पिछले दो दशक से लगातार सुर्खियों में बने रहे हैं। सोमवार की शाम अचानक जब उनकी मौत की खबर सुर्खियों में आयी तो उनके पैतृक गांव छतौना के लोग भी उनकी मौत का राज जानने के लिए जार्जटाउन, अल्लापुर स्थित बाघम्बरी मठ पहुंचे। संदिग्ध हाल में उनकी मौत का मामला जांच के दायरे में है। सभी स्तब्ध हैं और जानना चाह रहे हैं कि आखिर सच क्या है। इसके साथ ही लोगों में नरेंद्र गिरि के बारे में और जानने की उत्सुकता भी है।

महंत नरेन्द्र गिरि प्रयागराज के सराय ममरेज क्षेत्र स्थित छतौना गांव के मूल निवासी थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र सिंह था। उनके पिता भानु प्रताप सिंह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। नरेन्द्र ने स्थानीय बाबू सरजू प्रसाद इण्टर कालेज से हाईस्कूल की शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद वह घर से निकल गए। परिजन का कहना है कि बाल अवस्था में ही वे साधु संतों के साथ रहना बहुत पसंद करते थे। जब उन्होंने घर छोड़ा, तो दोबारा दर्शन नहीं दिए।

चार भाइयों में दूसरे नम्बर पर थे नरेन्द्र

महंत नरेंद्र गिरि चार भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। बाकी तीन भाई अशोक कुमार सिंह, अरविंद कुमार सिंह और आनंद सिंह हैं। उनके दो भाई शिक्षक हैं जबकि तीसरे भाई के बारे में बताया गया कि वह होमगार्ड विभाग में हैं। भयाहू आंगनबाड़ी में कार्यरत हैं। उनकी दो बहन प्रतापगढ़ में ब्याही हैं। संन्यासी जीवन में आने के बाद से उनका गांव आना- जाना तो नहीं रहा, लेकिन गांव के लोगों से लगाव बना रहा। इलाके में होने वाले प्रमुख कार्यक्रम में वह शिरकत करने जाते थे। प्रतापपुर के स्कूल में हुए शैक्षिक आयोजन में वह 2006 और 2010 में बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुए थे।



पैतृक गांव में छाया मातम
महंत नरेन्द्र गिरी के निधन की खबर मिलते ही उनके भक्त और संत समाज तो दुखी है ही, साथ ही उनके पैतृक गांव में मातम छाया हुआ है। उनके परिवार के सदस्य और ग्रामीण दुखी हैं। खबर है कि मंगलवार रात में उनके पैतृक गांव से भी लोग और परिवार के सदस्य श्री मठ बाघम्बरी गद्दी पहुंचे। सभी उनके आकस्मिक निधन से स्तब्ध है।