राष्ट्रपति ने 44 शिक्षकों को 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021' से सम्मानित किया
राष्ट्रपति ने 44 शिक्षकों को 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021' से सम्मानित किया
नई दिल्ली, 05 सितम्बर । राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि छात्रों की अंतर्निहित प्रतिभा के संयोजन की प्राथमिक जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है। एक अच्छा शिक्षक व्यक्तित्व-निर्माता, एक समाज-निर्माता और एक राष्ट्र-निर्माता होता है। वह शिक्षक दिवस के अवसर पर रविवार को वर्चुअल माध्यम से देशभर के 44 शिक्षकों को 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021' पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने वालों में राजधानी दिल्ली के बाल भारती पब्लिक स्कूल द्वारका की प्रिंसिपल सुरुचि गांधी और राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय रोहिणी के वाइस प्रिंसिपल विपिन कुमार भी शामिल हैं। यह दूसरा मौका है जब कोरोना महामारी के चलते राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार वर्चुअल माध्यम से प्रदान किये गये। राष्ट्रपति ने 44 शिक्षकों में 10 महिलाओं को शामिल होने पर विशेष प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक के रूप में महिलाओं की भूमिका सदैव प्रभावशाली रही है।
राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षक उनके इस विश्वास को मजबूत करते हैं कि आने वाली पीढ़ी हमारे योग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सभी के जीवन में शिक्षकों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। लोग अपने शिक्षकों को जीवन भर याद करते हैं। जो शिक्षक अपने छात्रों का स्नेह और भक्ति से पालन-पोषण करते हैं, उन्हें अपने छात्रों से हमेशा सम्मान मिलता है।
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने छात्रों को एक सुनहरे भविष्य की कल्पना करने और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए योग्यता प्राप्त करने के लिए प्रेरित और सक्षम करें। शिक्षकों का यह कर्तव्य है कि वे अपने छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करें। संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण और शिक्षण से छात्रों के भविष्य को आकार दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि प्रत्येक छात्र की अलग-अलग क्षमताएं, प्रतिभाएं, मनोविज्ञान, सामाजिक पृष्ठभूमि और वातावरण होता है। इसलिए प्रत्येक बच्चे के सर्वांगीण विकास पर उनकी विशेष आवश्यकताओं, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार जोर दिया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से पैदा हुए संकट से गुजर रही है। ऐसे में सभी स्कूल-कॉलेज बंद होने के बाद भी शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी। इसके लिए शिक्षकों ने बहुत ही कम समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना सीखा और शिक्षा प्रक्रिया को जारी रखा। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ स्कूलों में उल्लेखनीय बुनियादी ढांचे का विकास किया है। उन्होंने ऐसे समर्पित शिक्षकों की सराहना की और आशा व्यक्त की कि पूरा शिक्षक समुदाय बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपनी शिक्षण पद्धति को बदलता रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साल लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। हमें विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा देनी है जो ज्ञान पर आधारित न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में सहायक हो। हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि छात्र संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता विकसित करें, देशभक्ति की भावना को मजबूत करें और बदलते वैश्विक परिदृश्य में उनकी भूमिका से अवगत कराएं।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मंत्रालय ने 'निष्ठा' नामक एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत शिक्षकों के लिए 'ऑनलाइन क्षमता निर्माण' के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, 'प्रज्ञाता' यानी डिजिटल शिक्षा पर पिछले साल जारी दिशा-निर्देश भी कोविड महामारी के संकट के दौरान शिक्षा की गति को बनाए रखने की दृष्टि से सराहनीय कदम है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी नए रास्ते खोजने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पूरी टीम की सराहना की।
इससे पहले आज सुबह, राष्ट्रपति ने देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति भवन के राष्ट्रपति और अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
उल्लेखनीय है कि देश में हर साल पांच सितम्बर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को उनके विशेष कार्यों के लिए राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार प्रदान किया जाता है।