प्रयागराज : माघ मेले में धर्म और आध्यात्म के साथ 'चुनाव' की 'त्रिवेणी'
संतों के पंडालों एवं कल्पवासियों के शिविरों तक चुनावी समीकरण की चर्चा
प्रयागराज, 02 फरवरी । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान तीर्थराज प्रयाग में संगम की रेती पर चल रहे माघ मेले में इस समय धर्म और आध्यात्म के साथ ‘चुनाव’ की ‘त्रिवेणी’ भी गतिमान है। मेला क्षेत्र में लगे संत-महात्माओं के पंडालों और कल्पवासियों के शिविरों तक में चुनावी चर्चा जोरों पर है।
माघ मेला के तीन प्रमुख स्नान पर्व- मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा और मौनी अमावस्या बीत चुके हैं। कोरोना संकट के बावजूद मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आमद ठीक-ठाक है। हालांकि संतोंं के पंडालों में पहले जैसे धार्मिक प्रवचन नहीं चल रहे हैं, लेकिन पवित्र संगम में स्नान और उसके बाद पूजा-पाठ एवं दान की प्रक्रिया तेजी से अनवरत जारी है।
आस्था के इस पवित्र मेले में आमतौर पर धर्म, संस्कृति और आध्यात्म पर चर्चा तो होती ही रहती है, लेकिन इस बार यहां संतों और महात्माओं के अलावा कल्पवासियों के शिविरों में उत्तर प्रदेश की चुनावी सियासत पर खूब चर्चा हो रही है। दिन में धूप सेंकते और सुबह शाम आग के सामने बैठे कल्पवासी सियासी गुफ्तगू करते नजर आ रहे हैं। साधु-संत भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। किसी शिविर में एक बार फिर योगी सरकार को बनाने की बात हो रही है तो कहीं अयोध्या और काशी के बाद मथुरा के हालात पर चर्चा में मशगूल दिख रहे हैं साधु-संत।
अधिकतर संतों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज को सराहते हुए कहा कि उन्हें एक बार फिर मौका मिलना चाहिए। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज, काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती, दंडी संयासी महेशाश्रम समेत कई संतों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास और सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए योगी जैसे संत का दोबारा मुख्यमंत्री होना समय की मांग है। अधिकतर संतों का मानना है कि उप्र में योगी सरकार के दोबारा आने पर अयोध्या और काशी के बाद मथुरा में भी भव्य कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। इन संतों ने मतदाताओं से शत-प्रतिशत मतदान की भी अपील की है।
मेला क्षेत्र में कल्पवास कर रहे सच्चिदानंद द्विवेदी और जमुना प्रसाद मिश्र जैसे कल्पवासियों के साथ उनके परिवार के भी कुछ सदस्य यहां रह रहे हैं। मंगलवार को मौनी अमावस्या के कारण कल्पवासियों के कुछ रिश्तेदार भी उनके शिविरों में आये हुये हैं। इनमें कुछ ऐसे भी युवा हैं जो पहली बार मतदान करेंगे। बातचीत के दौरान इन युवाओं ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वे सब राष्ट्रीयता और संस्कृति के नाम पर एक बार फिर भाजपा की सरकार बनाने के लिए पार्टी उम्मीदवारों के ही पक्ष में मतदान करेंगे। वहीं, मेला क्षेत्र में साधु-संतों के शिविरों में इस समय यज्ञादि अनेकों अनुष्ठान भी चल रहे हैं। पूछने पर संत लोग कहते हैं कि ये अनुष्ठान विश्व शांति के लिए हो रहे हैं, लेकिन अनुष्ठान संचालित कर रहे वैदिक विद्वान काफी कुरेदने पर संकेत देते हैं कि ये अनुष्ठान गुरुजी के एक भक्त को चुनाव में विजय दिलाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
दरअसल, देश और प्रदेश के तमाम राजनेता विभिन्न संतों से जुड़े हैं और चुनावों में जीत के लिए वे अपने गुरुओं से समय-समय पर विशेष अनुष्ठान कराते रहते हैं। इस समय उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में तमाम राजनेताओं को विजयश्री दिलाने के लिए मेला क्षेत्र में कई संतों के यहां विशेष अनुष्ठान जारी हैं।