स्मृति शेष: शेन वार्न

स्पिन का शास्त्रीय संगीत थी शेन वॉर्न की गेंदबाजी

स्मृति शेष: शेन वार्न

अपनी गेंदबाजी से दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों को चकमा देने में माहिर रहे सर्वकालिक महान स्पिन गेंदबाज शेन वॉर्न के आकस्मिक निधन की खबर से समूचा क्रिकेट जगत स्तब्ध है। थाइलैंड के कोह सामुई में वक्त बिता रहे ‘फिरकी के जादूगर’ शेन वॉर्न का 52 वर्ष की उम्र में 4 मार्च 2022 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 4 मार्च की सुबह ही ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज विकेटकीपर रॉड मार्श का भी निधन हो गया था। इस प्रकार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए एक ही दिन में दो दिग्गजों को खोना बड़ा सदमा है। स्पिन गेंदबाजी में क्रांति लाने वाले और अपनी गेंदबाजी से दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीतने वाले वॉर्न ने निधन से कुछ घंटे पहले ही रॉड मार्श के निधन पर शोक जताते हुए लिखा था कि वह हमारे शानदार खेल के लीजैंड और कई युवा खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत थे।



13 सितम्बर 1969 को विक्टोरिया में जन्मे वॉर्न ने अपने कैरियर में स्पिन गेंदबाजी से कई कारनामे किए। वॉर्न दुनिया के ऐसे इकलौते गेंदबाज थे, जिन्होंने ऐसी-ऐसी गेंदों का आविष्कार किया, जिन्हें सिर्फ वे ही डाल सकते थे। फ्लिपर उनकी सबसे घातक गेंद थी। लेगब्रेक होती गेंद के बीच जब वे विकेट पर तेज गति से फ्लिपर फेंकते तो बल्लेबाज प्रायः एलबीडब्ल्यू या बोल्ड हो जाता था। उनकी लेगब्रेक, फ्लिपर तथा गुगली को दुनियाभर के बल्लेबाज समझने में विफल रहते थे।

वॉर्न ने 1993 से 2005 तक कुल 194 वनडे अंतरराष्ट्रीय और 1992 से 2007 तक 145 टेस्ट मैच खेले। टेस्ट में उन्होंने 25.41 की गेंदबाजी औसत से 708 तथा वनडे फॉर्मेट में 293 विकेट चटकाए। टेस्ट क्रिकेट में 708 विकेट के साथ वह सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में 800 विकेट लेने वाले श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन के बाद दूसरे नंबर पर रहे। वॉर्न टेस्ट तथा वनडे मैचों को मिलाकर 1000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने वाले भी मुरलीधरन के बाद दुनिया के दूसरे गेंदबाज बने थे। क्रिकेट आस्ट्रेलिया तथा श्रीलंका क्रिकेट ने 2007 में क्रिकेट के दोनों दिग्गजों के सम्मान में दोनों देशों के बीच टेस्ट सीरीज का नाम ‘वॉर्न-मुरलीधरन ट्रॉफी’ रखा था। टेस्ट में वॉर्न ने कुल 12 अर्धशतक लगाए और इस फॉर्मेट में बिना एक भी शतक लगाए सबसे ज्यादा कुल 3154 टेस्ट रन बनाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 99 रनों का है। वनडे में उन्होंने 1 अर्धशतक के साथ कुल 1018 रन बनाए। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम 1319 विकेट दर्ज हैं।



टेस्ट क्रिकेट में भारत के खिलाफ शेन वॉर्न ने 1992 में सिडनी टेस्ट से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, जिसमें उन्होंने पहला विकेट रवि शास्त्री का लिया था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद उन्होंने आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स को पहले ही सत्र में कप्तान और कोच के रूप में खिताब दिलाया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद शेन वॉर्न बिग बैश लीग और आईपीएल से जुड़ गए थे। 2008 में आईपीएल के पहले सीजन में उनकी कप्तानी में ही राजस्थान रॉयल्स ने खिताब जीता था। बाद में वह राजस्थान रॉयल्स टीम के कोच बने और कुछ समय तक क्रिकेट में कमेंट्री भी की। बेहतरीन कमेंटेटर के रूप में भी उन्हें सफलता मिली। क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट में उन्होंने अपना आखिरी मैच वॉरियर्स की कप्तानी करते हुए 2015 में अमेरिका में भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की एसआरटी ब्लास्टर्स की टीम के खिलाफ खेला था।



शेन वॉर्न के बारे में कहा जाता है कि गेंदबाजी की कला लेग ब्रेक को उन्होंने ही पुनर्जीवित किया था। बहरहाल, शेन वॉर्न को श्रद्धांजलि उनकी ‘बॉल ऑफ सेंचुरी’ का उल्लेख किए बिना अधूरी रहेगी। 24 वर्ष की आयु में 1993 में ओल्ड ट्रैफर्ड में वॉर्न ने इंग्लैंड के माइक गैटिंग को जिस गेंद पर आउट किया था, उसे ही ‘बॉल ऑफ सेंचुरी’ कहा जाता है। उस लेग ब्रेक पर न सिर्फ गैटिंग बल्कि स्वयं शेन वॉर्न भी आश्चर्यचकित रह गए थे। कई वर्षों बाद वॉर्न ने कहा भी था कि एक लेग स्पिनर के तौर पर आप हमेशा एक बेहतर लेग ब्रेक गेंद डालने के बारे में सोचते हैं और उन्होंने भी उसी तरह की गेंद डालने की कोशिश की थी लेकिन वह बॉल एक अचरज थी जिसकी न तो उन्होंने कल्पना की थी और न इसे दोहरा सकते हैं।

दरअसल उन्होंने 1993 की एशेज सीरीज के दौरान 4 जून 1993 को ऐसी बॉल फेंकी थी, जिसने 90 डिग्री पर टर्न लेते हुए बल्लेबाज माइक गैटिंग को चारों खाने चित्त कर दिया था। हालांकि वॉर्न की गेंद लेग स्टंप के काफी बाहर पिच हुई थी और लग रहा था कि गेंद वाइड हो सकती है, इसीलिए गैटिंग ने उसे खेलने का प्रयास नहीं किया। गेंद गैटिंग को चकमा देते हुए जबरदस्त तेजी से घूमी औक उनके ऑफ स्टंप पर जा लगी, जिसे देखकर हर कोई हतप्रभ रह गया था। गेंद करीब 90 डिग्री के कोण से घूमी थी और ‘बॉल ऑफ सेंचुरी’ अर्थात् ‘शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ गेंद’ कही गई उस गेंद ने वॉर्न की जिंदगी बदल दी थी।



शेर्न वॉर्न न केवल मैदान के भीतर बल्कि बाहर भी बहुत लोकप्रिय थे और भारत में वह काफी लोकप्रिय रहे। उनकी गेंदबाजी को स्पिन का शास्त्रीय संगीत भी कहा जाता था। हालांकि अपने मिजाज के कारण मैदान के बाहर उनका विवादों से भी नाता रहा। उनके कई अफेयर्स रहे, ब्रेकअप हुए और पत्नी से तलाक भी हुआ। उन पर कई बार सट्टेबाजी के आरोप लगे और वह प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन करने के भी दोषी पाए गए थे, जिसके चलते उन पर प्रतिबंध भी लगा था। दक्षिण अफ्रीका में 2003 विश्व कप से पहले वह प्रतिबंधित डायूरेटिक के सेवन के दोषी पाए गए थे। शेन वॉर्न तथा मार्क वॉ को 1998 में एक सटोरिये को पिच तथा मौसम के हालात की जानकारी देने के एवज में पैसा लेने के लिए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को जुर्माना भी देना पड़ा था। क्रिकेट में कोचिंग के खिलाफ रहे वॉर्न का मानना था कि क्रिकेट में मैनेजर होने चाहिए।



शेन वॉर्न के नाम 10 बार एक मैच में 10 विकेट और 38 बार एक पारी में पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज है। वह दुनिया के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में तीन हजार से भी ज्यादा रन बनाए लेकिन कभी शतक नहीं जड़ा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले लेग स्पिनर शेन वॉर्न पहले ऐसे क्रिकेटर थे, जिन्होंने सबसे पहले 600 और 700 टेस्ट विकेट लिए थे। एक वर्ष में सर्वाधिक 96 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी वॉर्न के नाम दर्ज है, इसके अलावा वनडे में लगातार तीन पारियों में चार विकेट लेने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है।

15 वर्षों तक क्रिकेट के मैदान पर राज करने वाले शेन वॉर्न का 1999 के क्रिकेट विश्वकप की विजेता ऑस्ट्रेलियाई टीम में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान था। विश्वकप फाइनल में उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था। अपना आखिरी टेस्ट वॉर्न ने जनवरी 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ सिडनी में खेला था। 1993 से 2003 तक वह पांच बार एशेज सीरीज जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे और एशेज सीरीज में उन्होंने सर्वाधिक 195 विकेट चटकाए। ‘क्रिकेट की बाइबल’ कही जाने वाली पत्रिका ‘विज्डन’ द्वारा उन्हें 1992 से 2007 के बीच उनकी अतुलनीय उपलब्धियों के लिए 20वीं सदी के पांच क्रिकेटर्स में चुना गया था तथा 2013 में उन्हें आईसीसी हॉल ऑफ फेम में भी शामिल किया गया था। बहरहाल, शेन वॉर्न का निधन क्रिकेट जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।