आजाद पार्क में बने कई सरकारी निर्माण के ढहाए जाने का खतरा बढ़ा
हाईकोर्ट ने 1975 के बाद बने निर्माणों के ब्यौरों के साथ प्रशासनिक अमला को किया तलब
प्रयागराज, 02 अक्टूबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के प्राण कहे जाने वाले आजाद पार्क (कम्पनी गार्डेन) में बने कई सरकारी व गैर-सरकारी निर्माणों को लेकर पत्रजातों समेत शहर के सभी सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारियों को तलब कर लिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी अधिकारी 05 अक्टूबर को उन कागजातों के साथ प्रस्तुत होकर बताएं कि वर्ष 1975 से पूर्व किन-किन सरकारी अथवा गैर सरकारी निर्माण को आजाद पार्क में बनाने की अनुमति मिली थी।
आजाद पार्क से अतिक्रमण हटाने को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एक्टिग चीफ जस्टिस एम.एन भंडारी व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रयागराज के आयुक्त, डीएम, एसएसपी, प्राधिकरण के वीसी, नगरायुक्त, राजकीय उद्यान अधीक्षक व उप निदेशक वानिकी विभाग प्रयागराज को केस की सुनवाई के दौरान रिकार्ड के साथ प्रस्तुत रहने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा है सुप्रीम कोर्ट ने 1975 के बाद बने सभी निर्माणों को अवैध करार देते हुए उसे हटाने का निर्देश दिया, परन्तु इसके बावजूद वहां धड़ल्ले से कई अवैध निर्माण होते गए। इन निर्माणों में गैर सरकारी निर्माण के अलावा सरकारी निर्माण भी है। कोर्ट ने कहा कि 1975 के बाद बने निर्माणों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आजाद पार्क में बने रहने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने आजाद पार्क से अतिक्रमण हटाने को लेकर अधिकारियों द्वारा जवाबदेही से बचने व अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर नाराजगी जाहिर की है और तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जब भी कोर्ट कोई सवाल पूछती है तो सवाल का सही जवाब न देकर कागजात पेश करने का कोर्ट से समय की मांग की जाती है।
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल दो निर्माण को सुरक्षित किया है। शेष सभी निर्माण को सही नहीं ठहराया है और उसे हटाने का निर्देश दिया। परन्तु सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है। कोर्ट जितेन्द्र सिंह विशेन व अन्य की याचिका पर अब 5 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।