वृंदावन नगर सहित श्रीकृष्ण जन्मभूमि में निकली जगन्नाथ रथयात्रा

जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव में उमड़े श्रद्धालु

वृंदावन नगर सहित श्रीकृष्ण जन्मभूमि में निकली जगन्नाथ रथयात्रा

मथुरा, 12 जुलाई(हि.स.)। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सोमवार शाम वृंदावन सहित श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रांगण में निकाली गई। वृंदावन नगर के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में निकाली गई रथयात्रा में श्रद्धालुओं को सैलाब उमड़ पड़ा। रथयात्रा में मथुरा, आगरा, अलीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा समेत हिमांचल प्रदेश से आए भक्त रथ खींच कर पुण्य लाभ कमा रहे। वहीं कुछ विदेशी भक्त में यात्रा में नजर आए।



कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अन्तर्गत वृंदावन नगर के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से भव्य रथयात्रा सोमवार शाम गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा के श्रीविग्रहो को पुष्पों से सुसज्जित भव्य रथों में विराजमान कराया गया। अपने आराध्य ठाकुरजी के दर्शनार्थ भक्तों का सैलाब सड़को पर उमड़ पड़ा। जगह-जगह पर श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर रथयात्रा का स्वागत किया।

नगर के ज्ञान गुदड़ी क्षेत्र स्थित गोपी उद्धव स्थल की परिक्रमा करने के साथ रथ यात्रा पुनः जगन्नाथ मंदिर पहुंचने पर संपन्न हुई। यहां भक्तों ने देर रात तक आराध्य भगवान जगन्नाथ, बलराम व बहन सुभद्रा के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। कोरोना महामारी के चलते रथयात्रा प्रतीकात्मक रुप से मंदिर से शुरु होकर परिक्रमा मार्ग से ग्राम राजपुर से भ्रमण करते हुए मंदिर पर संपन्न हुई। वहीं इसी प्रकार से अन्य वृंदावन के मंदिरों में भी रथ यात्रा निकाली गई।



श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के प्रांगण में निकली जगन्नाथ रथयात्रा



श्रीकृष्ण-जन्मस्थान स्थित भागवत-भवन में विराजमान भगवान जगन्नाथ सोमवार सांयकाल परंपरागत रूप से भ्राता व भगिनी सहित रथ में विराजमान हुए, इस अवसर पर संतगण द्वारा उद्दाम संकीर्तन व नृत्य ने भक्त गण को भक्ति विभोर कर दिया।

ज्ञातव्य हो कि, कोरोना प्रोटोकॉल के दृष्टिगत संस्थान द्वारा परम्परागत नगर भ्रमण को स्थगित कर जन्मभूमि के विशाल परिसर के अन्दर तक ही सीमित रखा है। तदनुसार रथयात्रा लीलामंच से आरंभ होकर जैसे ही केशव-वाटिका की दिशा में चली कि श्रीअन्नपूर्णेश्वर महादेव के द्वार पर श्रीकृष्ण संकीर्तन मण्डल के भक्तगण द्वारा भगवान की आरती कर व आमरस का वितरण कर यात्रा का स्वागत किया गया।

यात्रा के केशव वाटिका का भ्रमण कर वापस लीलामंच प्रांगण पहुंचने पर आरती के बाद समापन हुआ।