हाईकोर्ट का चीफ सेक्रेटरी को निर्देश
सभी विभागों, निगमों व प्राधिकरणों में नियुक्त वकील कोर्ट में खुद बहस करें
प्रयागराज, 28 जुलाई । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह सभी विभागों, निगमों, प्राधिकरणों को निर्देशित करें कि उनके द्वारा नियुक्त वकील अदालत में सुनवाई के समय बहस के लिए स्वयं मौजूद रहें। ऐसे नियुक्त वकील अपने जूनियर, सहयोगी या मित्र को पक्ष रखने के लिए न भेजें।
कोर्ट ने कहा अक्सर देखा जा रहा है कि विभागों, निगमों, प्राधिकरणों, विश्वविद्यालयों के नियुक्त वकील कोर्ट में स्वयं न आकर दूसरे को ब्रीफ देकर भेजते हैं, जो सही नहीं है। कोर्ट ने सहारनपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से कहा कि वह बतायें कि उन्होंने सत्यम सिंह को अपना वकील नियुक्त किया है या उन्हें अपना जूनियर, सहयोगी या मित्र को भेजने के लिए अधिकृत किया है।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन उप्र लखनऊ को अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ पिछले सात साल से लम्बित याची की पुनरीक्षण अर्जी को दो माह में निर्णीत करने का भी निर्देश दिया है। तब तक याची के निर्माण के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। याचिका की अगली सुनवाई सितम्बर के आखिरी हफ्ते में होगी। उस दिन कोर्ट ने कृत कार्यवाही की जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गौरव जैन की याचिका पर दिया है।
याची अधिवक्ता मधुसूदन दीक्षित का कहना है कि 2014 में याची के कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश सहारनपुर विकास प्राधिकरण ने जारी किया था। उसके खिलाफ याची ने शहरी नियोजन कानून की धारा 41(3) के अंतर्गत राज्य सरकार को पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की है। हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को एक माह में निर्णय लेने को कहा था। इसके बावजूद अर्जी तय नहीं की गयी और प्राधिकरण ने 13 अगस्त 20 को नोटिस जारी कर कहा कि निर्माण हटा लें अन्यथा ध्वस्तीकरण कर दिया जायेगा।
कोर्ट में प्राधिकरण के अधिवक्ता की तरफ से अधिवक्ता सूर्यभान सिंह बहस के लिए आये और कहा कि वह सत्यम सिंह का ब्रीफ होल्ड कर रहे हैं। प्राधिकरण के वकील स्वयं नहीं आये। जिसे कोर्ट ने राज्य के लिए अफसोसजनक करार दिया और प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति 72 घंटे में मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया है।