शबे बारात - पुरखों की कब्रों पर रात भर चलेगा फातेहा पढ़ने का दौर

शबे बारात - पुरखों की कब्रों पर रात भर चलेगा फातेहा पढ़ने का दौर

शबे बारात - पुरखों की कब्रों  पर रात भर चलेगा फातेहा पढ़ने का दौर

इसलामिक माह शाबान की 14 रविवार को शबे बारात का वार्षिक पर्व मुस्लिम समुदाय द्वारा अपने पुरखों की क़बरों को रौशन करने को रात भर जारी रहेगा।उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै०मो०अस्करी के मुताबिक़ हज़रत हमज़ा (अ०स०)की याद मे सूजी के हलवे पर नज़्रो नियाज़ कराने के बाद लोग क़ब्रिस्तानों इबादतगाहों और दरगाहों पर फातेहाख्वानी को जाएँगे।कोरोना के बढ़ते खतरे को लेकर तमाम सामाजिक व धार्मिक संगठनो ने लोगों से अपील की है की लोग सामाजिक दूरी के साथ मास्क लगा कर ही क़ब्रिस्तानो के अन्दर प्रवेश करें।

शिया सुन्नी इत्तेहाद कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट किताब अली ने शबे बारात और होलीका दहन को देखते हुए सभी से अपील की है की आपसी सौहार्द क़ायम रखते हुए दोनो समुदाय अपने अपने पर्व को मनाएँ।चकिया करबला क़ब्रिस्तान कमेटी के नायब सद्र शाहिद प्रधान ने बताया की कमेटी की ओर से क़बरों पर मिट्टी चढ़ाने के साथ रौज़े और क़दम रसूल के रंग रौग़न का कार्य करवा दिया गया।क़ब्रिस्तान मे समुचित लाईट की व्यवस्था के साथ रात भर लाऊडस्पिकर के माध्यम से क़ुरआनी की आयतों की तिलावत का प्रसारण होगा।शबे बारात पर क़ब्रिस्तान गेट पर सैनिटाईज़र और मास्क की व्यवस्था कमेटी द्वारा रहेगी।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया,उम्मुल बनीन सोसाईटी,शिया सुन्नी इत्तेहाद कमेटी सहित एक दर्जन से अधिक मातमी दस्तों ने पहली बार एक साथ पड़ रहे शबे बारात और होली के पर्व को देखते हुए सभी से गंगा जमुनी तहज़ीब को क़ायम रखने और आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की है।


*लॉकडाऊन के कारण पिछले वर्ष नहीं जा पाए थे पुरखों की क़बरों पर*
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण देश भर मे लगे लॉकडाउन के कारण २०२० मे अधिक्तर पर्व लोगों ने घरों मे रह कर ही मनाए थे।शबे बारात पर भी लोग क़ब्रिस्तान का रुख नहीं कर पाए थे।लोगों ने जहाँ घरों मे रह कर पुरखों को याद किया वही घरों मे ही बुज़ुर्गो की फातेहाख्वानी कराई गई।अस्करी ने अपने आवास पर अपने माँ और बाप की क़ब्र की निशानी बना कर जहाँ उसी निशानी ए क़ब्र को मोमबत्ती और अगरबत्ती जला कर फातेहाख्वानी कराई वहीं घरों की महिलाओं ने अपने अपने घरों मे रात भर तिलावत कर अपने पुरखों को याद करते हुए उनकी मग़फिरत को दूआ की थी