देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से हुआ है कामः प्रधानमंत्री

देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से हुआ है कामः प्रधानमंत्री

देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से हुआ है कामः प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 30 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को यहां अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक उसकी पहुंच जितना जरूरी है, उतना ही न्याय वितरण भी आवश्यक है। इसमें एक अहम योगदान न्यायिक अवसरंचना का भी होता है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है। इसे आधुनिक बनाने के लिए 9 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।

अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहली बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिला कानूनी प्राधिकरण के चेयरमैन और सेक्रेटरी की ये इस तरह की पहली राष्ट्रीय बैठक है। ये एक अच्छी और शुभ शुरुआत है और उम्मीद है कि ये आगे भी चलेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन के लिए जो समय चुना गया है वो सटीक भी है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भी है। आज से कुछ ही दिन बाद देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। ये समय हमारी आजादी के अमृत काल का है, ये समय उन संकल्पों का है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। देश की इस अमृत यात्रा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस (काम करने की सहजता) और इज ऑफ लिविंग की तरह ही इज ऑफ जस्टिस भी उतना ही जरूरी है। आप सब यहां संविधान के एक्सपर्ट्स और जानकार हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद-39ए, जो राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत आता है, उसने कानूनी सहायता को बहुत प्राथमिकता दी है। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ देश ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना भी की, ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ई-कोर्ट मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू की जा रही हैं। यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है। लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है। एक आम नागरिक संविधान में अपने अधिकारों से परिचित हो, अपने कर्तव्यों से परिचित हो, उसे अपने संविधान और संवैधानिक संरचनाओं की जानकारी हो, नियम और उपाय की जानकारी हो, इसमें भी टेक्नोलॉजी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल का ये समय हमारे लिए कर्तव्य काल का समय है। हमें ऐसे सभी क्षेत्रों पर काम करना होगा, जो अभी तक उपेक्षित रहे हैं। हमारी जिला कानूनी प्राधिकरण इन कैदियों को कानूनी सहायता देने का जिम्मा उठा सकती हैं। देश में अंडर ट्रायल कैदियों से जुड़े मानवीय विषय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले भी कई बार संवेदनशीलता दिखाई गई है। ऐसे कितने ही कैदी हैं, जो कानूनी सहायता के इंतजार में वर्षों से जेलों में बंद हैं।