गांव सभा की भूमि अतिक्रमण को लेकर एक साथ चल सकती है सिविल व आपराधिक कार्यवाही : हाईकोर्ट

गांव सभा की भूमि अतिक्रमण को लेकर एक साथ चल सकती है सिविल व आपराधिक कार्यवाही : हाईकोर्ट

गांव सभा की भूमि अतिक्रमण को लेकर एक साथ चल सकती है सिविल व आपराधिक कार्यवाही : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 27 सितम्बर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गांव सभा की जमीन पर अतिक्रमण के खिलाफ राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत सिविल कार्रवाई व लोक सम्पत्ति क्षति निवारण एक्ट की धारा 3/4 के तहत आपराधिक कार्यवाही एक साथ की जा सकती है। दोनों कानूनों के तहत कार्यवाही की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न है।

कोर्ट ने कहा कि धारा 67 की कार्यवाही सिविल प्रकृति की संक्षिप्त प्रक्रिया है। जिसके तहत बेदखली व क्षति वसूली कार्यवाही की जा सकती है। साथ ही लोक सम्पत्ति को शरारत कर नुकसान पहुंचाने पर आपराधिक कार्यवाही भी की जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि जब सिविल कार्यवाही का कानून हैं तो उसी मामले में अलग से आपराधिक कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने मिर्जापुर के जिगना थाना क्षेत्र में गांव सभा की जमीन पर अतिक्रमण के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ वाई.के श्रीवास्तव ने श्रीकांत की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याची का कहना था कि 26 जुलाई 15 को अतिक्रमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिसकी विवेचना कर पुलिस ने चार्जशीट दायर कर दी है और कोर्ट ने उस पर संज्ञान भी ले लिया है। याची का कहना था कि गांव सभा की जमीन से अतिक्रमण हटाने व क्षतिपूर्ति वसूली करने का राजस्व संहिता में एस डी एम को जांच कर कार्यवाही करने का अधिकार है। ऐसे में उसी मामले में लोक सम्पत्ति क्षति निवारण एक्ट के तहत आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती। इसलिए मुकदमे की कार्यवाही रद्द की जाय।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर विचार करते हुए कहा कि दोनों कार्यवाही भिन्न होने के कारण एक साथ चलाई जा सकती है। राजस्व संहिता की कार्यवाही सिविल प्रकृति की है। जबकि लोक सम्पत्ति क्षति निवारण एक्ट की कार्यवाही दांडिक है। जिसमें पाँच साल की कैद की सजा भी दी जा सकती है।